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Kalpesh Patel

Children Stories Inspirational

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Kalpesh Patel

Children Stories Inspirational

शिक्षा

शिक्षा

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एक दिन पार्वतीजी के संग शिवजी आकाश मार्ग से भ्रमण कर रहे थे, इतने में पार्वतीजी की नजर भूख प्यास से पीड़ित एक ब्राह्मण के जंगल में झोपड़ी में पड़ी। पार्वतीजी ने शिवजी को उस वनवासी ब्राह्मण का कल्याण करने को कहा । शिवजी ने कहा उसकी किस्मत में सुख नहीं है, तो मैं उसका भला कैसे करूँ , चलो आप कहती हो तो कुछ करता हूँ। और शिवाजी मेहमान बनकर उस ब्राह्मण के पास गए, और पीने का पानी मांगा, उसने बड़े आदर के साथ शिवजी को जल दिया।

शिवाजी ने जाते समय कहा, “हम तुम्हारे इस आतिथ्य से प्रसन्न हुए। हम इस राज्य के राजा हैं। तुम्हें पास के नगर का एक चंदन का बगीचा प्रदान करते हैं। इससे तुम्हारा जीवन का आराम से गुजारा जाएगा।”

ब्राह्मण नगर के अधिकारी के पास गया और वह चंदन का बगीचा उसे प्राप्त हो गया। लेकिन ब्राह्मण ने आपने आलसी स्वभाव से उस बगीचे को एक कठियारे को ठेके पे दे दिया। और वो कठियारे चंदन का महत्व नहीं समझता था ? ये चंदन की लकड़ी क्या है और इसका किस तरह से फायदा उठाया जा सकता हैं, इस बात का पता नहीं था।

इसलिए वो कठियारे ने चंदन के वृक्ष काटकर उनसे कोयला बनाकर पास के शहर में बेचने लगा, और जो पैसे मिलते थे उसमें से आधा ब्राह्मण को देता था। इस तरह से उसका गुजर-बसर चलने लगा।

धीरे धीरे चंदन के सभी वृक्ष खत्म हो लगे और आखिर में सिर्फ एक वृक्ष बचा। बारिश के कारण वह पेड़ गिला था। इस कारण वह कोयला नहीं बना पाया। कठीयरा अब ब्राह्मण को छोड़कर चला गया। ऐसे ही महीना बीत चुका , ब्राह्मण के पास अब खाने को कुछ नहीं था, तो वो बगीचे में आया उसने चंदन की खुशबू के कारण केवल गीली हुई लकड़ी को बेचने का निर्णय लिया।

जब वह लकड़ी का गट्ठा लेकर बाजार में पहुंचा तो चंदन की खुशबू के कारण बहुत सारे लोग उससे खरीदने आ गए। और बहुत भारी कीमत में ब्राह्मण से वो चंदन की लकड़ियां खरीद ली। इससे ब्राह्मण हक्का-बक्का रह गया। उसने अपने आपको खूब कोसा, अगर उसने आलस छोड़कर खुद बगीचे में एक चक्कर मारा होता , तो वो अच्छा खासा पैसा कमा के और अमीर बन सकता था।

अब ब्राह्मण अपनी गलती पर पश्चाताप करने लगा कि उसकी आलस के ही कारण कीमती लकड़ी का कोयला बनवाकर मामूली भाव में बेच दिया। जबकि वह खुद पहले बगीचे में आता तो इन सारे पेड़ो की लकड़ियों से अपनी जिंदगी बदल सकता था।

 शिक्षा- आलस सब दुखो की जड़ है।


 


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