Shishir Mishra

Others

5.0  

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सच्चे हत्यारे

सच्चे हत्यारे

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एक लड़का अपने विद्यालय के आखिरी दिन विदाई समारोह में बैठा था, मुँह लटकाए, शायद उसका चेहरा और अंतर्मन भी वैसा ही था लटका हुआ। 

उस दिन वो किशोर जी के बहुत सारे गाने अपनी ज़िंदगी से जोड़ रहा था, उसका मन पूरी तरह स्कूल के खिलाफ हो चुका था। उसने यहाँ तक सोच लिया था कि वो अपने विदाई में भी नहीं जाएगा, पर माँ के बहुत कहने पर वो गया। उसके दोस्त कोट पैंट में सजे धजे थे वो एक पुराने आम टी-शर्ट में अपनी असलियत ना छुपाता हुआ एक जगह बैठा था। उसके अध्यापक भी खुश थे सहपाठी भी और बाकियों को तो मतलब ही कहाँ था। वो शांत स्वभाव और सिकुड़ा हुआ चेहरा चुप रहते हुए भी बहुत कुछ कह रहा था, वो शायद अपना दुख, हाँ शायद दुख ही, किसी को बताना भी नहीं चाह रहा था, शायद वो सोच रहा हो कि पिछले कितने सालों से जिस बच्चे की बात को बेबुनियाद माना जाता रहा है उसकी बात आज कोई क्यों करेगा? 

सब का अपना अपना अंदाज़ है और सब अपनी कला झूठी या सही दिखाते रहे। उसका भी नंबर आया किसी कैदी की तरह उसको बुलाया गया, और फिर मंच पर ही कुछ ज्यादा समझदार लोगो ने उसकी खिचाई करनी चाही, लेकिन वो आज सुनने के लिए नहीं आया, आज उसने कितने सालों में पहली बार जवाब दिया, 

जवाब में बस इतना ही कि उसको किसी बात का बुरा नहीं लगता अब, क्योंकि मेरे कुशल वातावरण ने मुझे मरना सिखा दिया है। 

आप लोगो का बहुत बहुत शुक्रिया कि आपने मेरे लिए अपना इतना समय बर्बाद करके मुझे मजबूत बना दिया है कि मुझे सहना आ गया है। 

हाँ मगर आपकी कृपा सब पर नहीं बरस पाती। 

इतने सालों में मैंने यही देखा इस विद्यालय में कि आप लोग किसी हत्यारे की तरह मेहनत करते हैं, उसका काम भी आसान नहीं होता होगा, मगर आप लोग इतनी कुशलता से अपने काम में लगे हैं कि इतने कुशलता से प्यासा मृग पानी भी नहीं पीता।

और हाँ मेरे साथ इतने साल पढ़े मेरे साथ के आलोचक मेरे इतने बड़े हेल्पर निकलेंगे मैंने ये सोचा भी नहीं था, 

एक बार को लगता है कि आप लोग को समझने में मैंने देर कर दी बहुत देर, और अब तो बस अफसोस रहेगा, लेकिन अगले पल आप लोग से सीखी बात भी दिमाग में घूम जाती है कि रोने या उदास होने से कुछ होता नहीं है, इसलिए हमेशा खुश रहें..... 


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