सपना...
सपना...
एक छोटे से शहर के किनारे एक शांत जगह पर एक बरगद का पेड़ हुआ करता था। वो बस पेड़ मात्र ही नही था बल्कि बहुत सारे पंछियों, जीवों, और बहुत से राह चलते राहियों के लिए सिर छुपाने का एक सहारा था। कभी लोग उसकी पूजा करने आते तो कभी कुछ लोग उसकी छांव का मज़ा लेने आते। किसको पता था कि ऐसे वो गिर जायेगा, सांप भी और चिड़िया भी सब एकता के साथ रहते थे।
कुछ दिन पहले कुछ लोग आकर पेड़ के इर्द गिर्द घूमने लगे और कुछ नाप वगैरह लेने लगे। सभी जीवों को बड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन वो सिर्फ मुँह लटकाये देख ही सकते थे।
वो लोग विकास के नाम पर काम करने वाले लोग थे, और शायद विकास एक बहुत बड़ा बाहुबली था, उसका विरोध कोई नहीं करता था। देखते ही देखते वो लोग कागज़ पत्र के साथ आये और पूरे वृक्ष जीवन की खुले आम हत्या की, उस दिन किताबों में पढ़ाये गए कोई सिद्धांत नही काम आये किसी के।
उस जीवनदायी बरगद के टुकड़े टुकड़े करके उसको सरकारी कारखानों में भेज दिया।
वो पेड़ जो इतने जीवन का स्वामी था क्या वो कुर्सी और पलंग बनकर लोगों को वैसी राहत देता होगा?
आप क्या सोचते हैं ये ज़रूरी है, क्या ये कहानी यहीं खत्म होनी चाहिए थी?