छोटी सी कहानी
छोटी सी कहानी
एक लड़का था 15-16 साल का वो अपने पिता को अपना हीरो मानता था और किसी भी हालत में उनको आदर करना नहीं भूलता था और ना ही चरण स्पर्श करना, पर अपने दिल से अपने अंतरमन से ना कि दुनिया में अन्य लोगो की तरह दिखावे से जो सामने तो ऐसा स्वभाव दिखाते हैं कि पत्थर भी पिघल जाए और आड़ में उसी इंसान को गाली देते हैं, फिर वो ज़रा सी सलाह देने पर हो या किसी काम में बाधा पड़ने पर हो।
वो मानता था कि इंसान का जन्म पाकर वो धन्य है और उससे भी ज्यादा वो इसलिए भगवान का आभारी है कि उसे ऐसे पिता का साथ मिला जो उसकी हर छोटी कठिनाई को समझता हो और उसके बाल मन की कद्र करता हो। एक बार उसे कहीं दूर जाना पड़ा अपने पिता को छोड़कर कहीं दूर जहाँ लोगो के मुताबिक भविष्य बना करते हैं। उसकी विषमता ये थी की वो दूध पिलाने वाली माँ से तो दूर रह सकता है मगर कंधे पर दुनिया की सैर कराने वाले पिता से दूरी बर्दाश्त नहीं होती थी। अपने पथ पर डगमगाते पैरों से सफर शुरू करने वाला वो दो दिन में ही घर वापस लौट आया, और आते ही अपने पिता के सीने से लिपट कर खूब रोया। ऐसा किसी ने आज तक नहीं देखा था, ना ही किसी बाहर के आदमी ने और ना ही माँ-बाप ने।
उसके मुँह से शब्द तो नहीं निकले मगर पिता ने समझकर उसको समझाया कि ज़िंदगी की यही कहानी है और अच्छी लगे या बरी हमे उसको स्वीकारना ही होगा वरना हम दुनिया को एक दिन अपने को कुचलते आगे जाते ही देखेंगे बस। वो बच्चा क्या समझता बाप क्या बोले जा रहा है, उसको तो अभी जज्बातों के पहाड़ लाँघना था फिर कहीं वो अपने जीवन में अपने पैरों पर खड़ा हो सकता था। उसके पिता के अनुसार उसका किशोर मन जब तक ऐसा रहेगा वो वक़्त ही बताएगा की उसका आगे का वक़्त कैसा होगा। ना जाने आज कल के झूठे बच्चों के दौर में ये राम कहाँ से पैदा हो गया। उनको चिंता और गर्व दोनो होता लेकिन वो दोनो ही दिखा नहीं पाते क्योंकि उनका बेटा हमेशा उनके सामने होता और उनको ना ही होठ सिकोड़ने देता ना ही मूँछे फुलाने देता। उसके अनुसार उसके जीवन का हर पल उसके पिता को समर्पित है। किसी ने उससे एक बार हँसी में पूछ लिया था कि माँ ने क्या ग़लती की थी कि तूने पिता को ही अपना सोलमेट चुना? उसने हँसी में ही अपना उत्तर दबा दिया और माँ को धरती सम कह दिया जिसपर वो रहता है।
पर अक्सर हम भूल जाते हैं कि जिस चीज़ से हमे सबसे अधिक प्रेम होता है उसको छीनने वो भी आ जाता है जिसको आप और जो आपको जानता तक नहीं। और इस बच्चे के केस में तो खुद यम भी पधार पड़े। उसके पिता की मौत जब हुई तो उसकी उम्र 24 वर्ष थी ना ब्याह हुआ था ना कोई नौकरी लगी थी और तब तक वो चाहता भी नहीं था। लेकिन उस दिन उसका दिल रोया, एक इंसान को रोते कई लोगो ने बहुत वर्षों में पहली बार देखा। एक बार पुराने ज़माने की वो अनपढ़ और प्यार भरी तस्वीर सामने आयी। वो चाहता तो अपने पिता के किसी कपड़े को अपने सीने से लगाए ज़िंदगी भीख मांग कर गुजार देता मगर अब उसको पिता की हर बात का मूल समझ आने लगा, अफसोस जाने के बाद। मगर माँ के लिए जाते-जाते उसने एक अच्छी छवि समाज में पा ली। और अब वो अकेले रहता है, अकेले तो नहीं कह सकता कोई क्योंकि कोई भी उसके घर जाता है तो वो अपने पिता से बात करता ही मिलता है, अपने पिता के पलों में समाहित मिलता है। लोग उससे कहते हैं शादी कर ले लेकिन उसको भी लोगो के मुँह थकाने में मज़ा आता है और हँस कर कह देता है कि मैं अपने पिता की यादें किसी और के साथ नहीं बाँट सकता, बड़ा हो गया है और अपने पैरों पर खड़ा भी मगर अभी उसका वो किशोर मन मरा नहीं ।
