Shailaja Bhattad

Others

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Shailaja Bhattad

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सच

सच

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माना कि सच बोलने में डर लगता है, लेकिन जो सच कह रहा है उसके साथ खड़े होकर उसका साथ देने की बजाय उससे कन्नी काटते हुए लोगों को मैंने आज पहली बार देखा। जैसे कि वह सच बोलकर कोई अपराध कर रहा हो ।

हुआ कुछ ऐसा कि मैं एक शॉपिंग मॉल में सब्जियां व डेयरी प्रोडक्ट खरीद रही थी कि तभी एक महिला अपने हाथ में "चीज़" के दो पैकेट मैनेजर को बताते हुए बोली यह चीज़ नहीं प्लास्टिक है विश्वास न हो तो अभी आप लोग इसे गर्म करके देख लीजिए। और वाकई में चीज़ पिघला ही नहीं। वह प्लास्टिक था या नहीं यह तो लैब टेस्टिंग से ही पता चल सकता था। हां लेकिन चीज़ अवश्य ही नहीं था।


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