साइकिल
साइकिल
" बड़ी अच्छी साइकिल है । कौन दिलाया ? " जगबीर ने उत्सुकता से पूछा ।
साहिल तो मानो प्रश्न का इंतज़ार कर रहा था । कोई पूछे और वो शुरू हो जाए । अपने छोटे -छोटे हाथों को नचाते हुए शुरू हो गया । " देखिए अंकल , यह जो साइकिल है ना ? साहिल ने अपनी आँखें मटकाई । इसमें यह बास्केट दिख रही है आपको ? एक पल रुक कर जगबीर की तरफ़ देखा , जगबीर को ध्यान से सुनता देख साहिल फिर से शुरू हो गया । " बास्केट देख रहें हैं ना , मैंने चार टूथ ब्रश लिए हैं " उसने फिर से अपनी सुन्दर आँखें मटकाई ।
साहिल छः साल का छोटा सा बच्चा । दुबला सा , बोलता धाराप्रवाह में था । अपनी मम्मी के साथ अपार्टमेंट के नीचे बने मार्केट में सामान लेने आया था । जगबीर भी दूध लेने आया था । उसने तो यूँ ही छोटा बच्चा देख कर पूछ लिया । उसके बोलने के स्टाइल से जगबीर उसका क़ायल हो गया ।
" इतने सारे टूथ ब्रश कोई लेता है क्या ? कोई क्यों लेगा इतने सारे टूथ ब्रश ? हाँ !! कोई बुद्दु ही ले सकता है ।" जगबीर गम्भीरता से बोला ।
अरे अंकल !! साहिल माथे पर हाथ मारकर बोला । मानो जगबीर की नादानी पर सिर पीट रहा हो । " यह पिंक वाली मेरी दीदी का है , ब्लू वाला मेरा है , ग्रीन मम्मी का और रेड पापा का । एक चीज़ और दिखाऊँ ? "
" हाँ दिखाओ । "
यह देखिए , इसकी आँखें । अच्छी है ना ? साइकिल की बास्केट से एक स्टिकर निकाल कर दिखाते हुए साहिल ने पूछा ।
" ठीक ही है , ज़्यादा अच्छी नहीं है ।" जगबीर लापरवाही दिखाते हुए बोला ।
" ध्यान से देखिए , इसकी आँखें मेरी तरह है सुन्दर , मेरी मम्मी ने बताया । आप हाथ में लेकर देखिए । साहिल ने छोटा सा स्टिकर जगबीर को पकड़ा दिया ।
" अरे हाँ , एकदम तुम्हारी आँखों की तरह , सुन्दर है । दरअसल मुझे दूर से दिखाई नहीं देता ना , इसलिए गलती हो गयी ।
साहिल ने गौर से जगबीर को देखा । " फिर चश्मा लगाया करिये ना । " मेरे दादाजी तो चश्मा लगा लेते हैं , फिर उनको एकदम साफ़ दिखता है । साहिल ने फिर से हाथों को नचाया ।
अच्छा ! जगबीर अपनी हँसी रोकते हुए बोला ।अच्छा साइकिल कितने की है ? सोच रहा हूँ , मैं भी ऐसी ही एक ले लूँ ।
"छोटी पड़ जायेगी आपको " तपाक से साहिल का जवाब आया ।" पाँच हज़ार की आयी है मेरी साइकिल , पर अब तीन हज़ार की रह गयी है । " ट्रक में आयी थी ।
ट्रक में थोड़ी आती है साइकिल , मुझे भी पता है । जगबीर ने झूठमूठ का ग़ुस्सा दिखाया ।
सारा सामान ट्रक से आया था ना , साइकिल भी उसी में आयी थी ।साहिल को मानो जगबीर की बुद्दि पर तरस आ रहा था ।
" चलो साहिल , साहिल की मम्मी ने आवाज़ दी ।
"बाई अंकल ।"
"बाई बेटा । "
साहिल अपनी साइकिल को बहुत सम्भाल कर ले गया । अपने ख़ज़ाने को लादे हुए ।