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Bhawna Kukreti Pandey

Others

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Bhawna Kukreti Pandey

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साईड लोवर

साईड लोवर

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ट्रेन काफी लेट हो गयी थी।रात के 1 बज रहे थे । हम अपनी सास जी के साथ लौट रहे थे। वे कुछ दिनो से बीमार चल रही थीं, सो दवा ले कर जल्दी सो जाती थीं मगर आज वे भी परेशान थीं । 

जैसे ट्रेन आई हमने पहले उनको कम्फरटेबल करने की सोची। देखा उनकी लोअर बर्थ पर एक बहुत भारी शरीर वाली महिला फैल कर बैठी थीँ । पतिदेव जी बोले "मैम प्लीज ये बर्थ " तो वे तपाक से बोली "मेरी भी ये साइड बर्थ है।" लोग आने जाने लगे, माँ जी और बेटा साईड पर बैठ गये। उनको वहाँ से उठता न देख कर पतिदेव बाकी बर्थ को देखने चले गये । हम सबकी बर्थ कोच के अलग सैक्शन मे हो गई थी।


मैं सारे सामान के साथ खड़ी थी, वो महिला कनखियों से मुझे ही देख रही थी जैसे ही मेरी नजर उस पर फिर गयी वो बोली "आप साईड बर्थ के नीचे अपना सामान लगा लीजिए, आंटी आप भी आराम से लेट जाईये ।" अगर सास जी की जगह मेरी बात होती तो शायद मैं राजी हो जाती। मगर ये धूर्तता मुझे बर्दाश्त नहीं हुई। 


"नहीं, आप अपनी बर्थ पर जाईये मैं समान यहीं सेट कर रही हूँ, माँ जी आप इधर आईये " कह कर मैने माँ जी के झोले-बैग सब तेजी से बर्थ के नीचे सेट करने शुरु किये। ये महिला मगर उठी नहीं और ये देख कर मेरी सास जी भी बैठी रहीं ,नाराजगी उनके चेहरे पर साफ थी। मैंने बेटे को कहा "आओ इधर बैठो, मैम प्लीज शिफ्ट " बेटा कूद कर चला आया। सास जी ने मुझे देखा।हम दोनों मे आँखों-आँखों मे बात हुई ,उनको वैसे ही आश्वस्त किया । मगर वे महिला अपना पैर तक नहीं हिला रहीं थीं।


अब मुझे गुस्सा सा आने लगा की अजीब ढीठ हैं ये, फिर सास जी का हाथ पकड़ कर उठाया और बर्थ पर महिला को कहा "आप इधर आ जाईये अपनी बर्थ पर , माँ जी बैठेंगी"। वो उतना भर खिसकी जितने भर मे सास जी ऐडजस्ट हो पाये। ये महिला मेरे पतिदेव के आने का इन्तज़ार कर रहीं थीं मगर मेरे इस रवैये से झुंझला भी गयीं। मेरा बेटा और सास जी भी थोड़े आश्चर्य मे दिख रहे थे।


मैं अब भी उनके सामने खड़ी थी।कुछ देर बाद मुझे सर पर खड़ा देख वे भी उठ कर खड़ी हो गयीं। मगर अपनी बर्थ पर नहीं बैठी। तब तक पतिदेव आ गये रस्ता ब्लॉक देख बोले,


" मैम प्लीज साइड"

" सर माता जी इधर सो जाएं उनको आराम रहेगा ।" 


पतिदेव जी हमेशा की तरह हामी भरने ही वाले थे की मैं बोल उठी "नहीं साइड वाली चौड़ी नहीं है ,माँ जी को आराम नहीं रहेगा।" पतिदेव मेरे रवैये पर हतप्रभ । उसके बाद उस महिला का सहयोगी भी आ गया और आते ही बोला "जमा कुछ मामला?! " उस महिला ने पहले मेरी ओर देखा फिर सास जी को और फिर पतिदेव की ओर 'मुस्करा ' कर देख कर बोली "अब तो सर ही करायेंगे ।" 


ये महिला लग रहा था की आज मेरे सारे "ट्रिगर प्वाइंट" दबाने वाली थी।भला हो पतिदेव का जो मेरी भाव भंगिमा को अच्छे से पढ़ लेते थे।बोले " क्या करना है ?" मैने सास जी को देखा उनका एक हाथ माथे पर था "।"ईश्वर!!! मेरा परिवार परेशान हो रहा और इन मैडम को जरा भी ...." में मन मे बड़बड़ाने लगी थी ।

पतिदेव बैग सीट के नीचे करने के बहाने कान तक आये बोले " बताओ क्या चाह रही हो ,क्या कहना है इनको?!"

मेरा मिजाज तब इनकी बात के "माधुर्य " से थोड़ा ठीक हो गया ।"


मैडम ऐसा है की आप बाकी पैसेंजर से बात कर लीजिए। " कह कर मैं माँ जी के जूते उतारने लगी। 


कुछ देर बाद हम सब अपनी बर्थ पर जाने की तयारी कर रहे थे।बेटा बोला


"पापा ,माँ जब से जाब करने लगी है न, बहुत तेज हो गयी है ! "

" तो क्या मूरख बनी रहे , सही है,ऐसा ही होना चाहिये।" 

सास जी बोलीं।मैने पतिदेव को उड़ती नजरों से देखा, वे शरारत भरी नजरों से मुझे देख रहे थे, बोले " बेटा कह तो सही रहे हो ,बहुत ही तेज हो गई हैं। ","अब चुप कर सो जाओ सब " सास जी का कड़क आदेश ।


रात 2 बजकर 10 मिनट , मैं अपनी साइड बर्थ पर सूकून से लेटी थी ।


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