रईस भिखारी
रईस भिखारी
सेठ ज्ञानीमल विजयपुर नगर के बहुत बड़े अमीर आदमी थे। उनकी एक बहुत बड़ी फैक्टरी थी वे अपने वर्कर ( कर्मचारियों ) ध्यान रखते थे उनके वर्करों की मेहनत के दमपर उनका कारोबार फल फूल रहा था साथ वाले सेठ उनसे बहुत ईष्यों करते थे एक बार उनसे जलन रखने वालों ने सेठ ज्ञानीमल के कारखाने में आग लगवा दी सेठ का सारा कारखाना ( फैक्ट्री ) जल कर राख हो गई। बाकी हवेली , गाडियाँ , बैंक बैलेंस , बैंकों ने अपनी लोन के बदले कुर्क कर लिये।
सेठ ज्ञानीमल अब पूरी तरह से रोड़ पर आ गये थे सेठ ज्ञानीमल के दिमाग में एक आइडिया आया क्यों न दूसरे शहर जाकर कुछ नया किया जाए सो ज्ञानीमल थोड़े दूर के शहर विजटन जाकर अपने आइडिया ( प्लान ) के तहत लोगों से भीख मांगने लगे वहाँ उन्हें कोई पहचानता नहीं था सेठ की वेशभूषा व आकर्षक डील - डौल देखकर कुछ लोग ताना भी मारा करते थे कि तुम जैसे हट्टे - कट्टे रईस से दिखने वाले व्यक्ति को भीख माँगते शर्म नहीं लगती सो सेठ अपने लक्ष्य के खातिर सब कुछ चुप - चाप सुनते थे सेठ अपनी वास्तविकता बताकर लोगों से सहानुभूति भी हासिल करते रहे इस कारण उन्हें कुछ भीख में भी ज्यादा ही राशि मिल जाती थी वह राशि एकत्रित करते गये।
उन्होंने उस राशि से एक छोटा सा कारखाना उसी नगर में खोला उसी नगर के लोगों को रोजगार दिया लोग रईस भिखारी सेठ से जुड़ते गए और अपना पूरा सहयोग देते गए। एक दिन सेठ ज्ञानीमल पुन : उसी नगर रईस भिखारी से रईस आदमी बन गये। शिक्षायें ( 1 ) आदमी अपने हुनर से कुछ भी हासिल कर सकता है।
