Meera Ramnivas

Children Stories

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राखी

राखी

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रक्षाबंधन पर्व को मनाने को लेकर प्रिया बहुत खुश थी।हर साल की तरह बुआजी मोहक भैया को लेकर आयेंगी।वह देवक और मोहक दोनों भाइयों को राखी बांधेगी। 

वह मम्मी के साथ जाकर राखियां लेकर आई। कौनसी राखी किसे बांधनी है।सब तय कर लिया था।  

मम्मी ने हर साल की तरह अपने लड्डू गोपाल की कलाई पर बांधने के लिए राखी ली।

रक्षाबंधन पर मां सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद खीर का प्रसाद बनाती हैं। सबसे पहले लड्डू गोपाल को राखी बांधी जाती है। खीर खिलाई जाती है।

प्रिया नीचे खेलने गई। ननकू और उसकी छोटी बहन नयना पहले से ही खेल रहे थे। ननकू को देखते ही प्रिया चिल्लाई। ननकू तुम्हें याद है ना परसों रक्षाबंधन है। हां मेरी मम्मी कल नानी के साथ बातें कर रही थी। राखी पर हम नानी के यहाँ जा रहे हैं।मैं बहन रिया से राखी बंधवाऊगां।

मेरी बुआ आ रही हैं। तुम्हें याद है देवक। गर्मी की छुट्टियों में आया था। हां! हम सब साथ खेलते थे।देवक मेरा अच्छा दोस्त बन गया था। इस बार देवक के साथ न खेल पाऊंगा।वह तुम्हारे बारे में पूछेगा जरूर, हां ये तो है।

प्रिया हर शाम दोस्तों संग खेलती थी।पापा जब तक दफ्तर से नहीं लौटते वह नीचे ही रहती। पापा मोहक को ट्यूशन से लेकर आते। पापा की गाड़ी आती।प्रिया दौड़कर पापा के हाथ से थैला ले लेती।

 कैसी है हमारी रानी बिटिया।पापा सर पर हाथ फेरते ।अच्छी हूँ पापा। पापा का हाथ पकड़ घर चल देती।

 पापा फल लेकर आते। प्रिया को केले बहुत पसंद थे। वह तुरंत केला खाने बैठ जाती। मम्मी समय की बड़ी पक्की थीं,।पापा हाथ मुंह धोते इतने में चाय तैयार हो जाती ।चाय की चुस्की संग दिनभर की बातें होती।उस शाम रक्षाबंधन को लेकर बात होने लगी ।खाना क्या बनेगा। कौन सी मिठाई बनेगी। रेवती बुआ कितने बजे आयेगी । 

पापा ने मम्मी को रूपये देते हुए कहा "लो ममता ये कुछ रूपये हैं। बाजार जाकर रक्षाबंधन के लिए जरूरी सामान ले लेना। रेवती और देवक के लिए कपड़े ले लेना।

 रात को सोने से पहले प्रिया ने माँ से पूछा माँ हम राखी क्यों बांघते हैं।,बेटा ये भाई बहन के स्नेह का प्रतीक है। भाई की कलाई पर राखी बांधकर बहन अपने भाई की लंबी उम्र की दुआ करती हैं।भाई उपहार स्वरूप बहन को जीवन भर के लिए स्नेह और सुरक्षा का वचन देते हैैं।भेंट सौगात देते हैं।

"आप लड्डू गोपाल को राखी क्यों बांधती हो।"

" क्योंकि वे हमें प्यार देते हैं।हमारी रक्षा करते हैं।"

 राखी बांधने के पीछे कई लोक कथायें प्रचलित हैं। सुनाओ ना मां!ये बहुत पुरानी प्रथा है। उस समय राखी को रक्षासूत्र कहा जाता था।व्यक्ति की रक्षा और कल्याण के लिए शुभ संकल्प के साथ ये सूत्र कलाई पर बांधा जाता था।

कहते हैं लक्ष्मी जी ने बलि को रक्षा सूत्र बांधा था और बलि से उपहार में विष्णु जी को अपने साथ ले जाने का उपहार मांगा। उस समय विष्णु जी बलि के यहाँ रहने को वचन बद्ध थे। लंबे समय से बलि के यहां रह रहे थे।

कहते हैं जब भी पति शुभ कार्य के लिए बाहर जाते थे। संकल्प के साथ पत्नियां कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा करती थी। इंद्राणी ने युद्ध के लिए जाते पति इंद्र को रक्षासूत्र बांधा था।

धीरे धीरे न जाने कब ये रक्षा सूत्र भाई बहन के स्नेह का पर्व बन गया। रक्षासूत्र राखी के नाम से जाना जाने लगा।

रक्षाबंधन की सुबह प्रिया नये कपड़े पहन बुआ और देवक का इंतजार करने लगी। दरवाजे की घंटी बजी ।सब बुआ के स्वागत के लिए आगे बढ़े।बुआ स्नेह सहित बारी बारी से पापा और मम्मी को गले मिली। प्रिया और मोहक ने बुआ को प्रणाम किया।देवक का हाथ थामा और सभी  बैठक रूम में आ गये। 

राखी के लिए मां ने थाली सजाई । थाली में राखी,टीका लगाने के लिए कुंकुम ,हल्दी, चावल रखा।आरती के लिए दीप प्रज्जवलित किया। मुंह मीठा करने के लिए मिठाई रखी गई ।

सबसे पहले बुआ ने पापा को टीका लगाया।कलाई पर राखी बांधी।मुंह मीठा करवाकर आरती उतारते हुए लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना की। पापा ने थाली में शगुन के रुपए रखे, आशीर्वाद दिया। बुआ ने भाभी को भी राखी बांधी।  

बुआ के बाद प्रिया ने बुआ की नकल करते हुए देवक और मोहक को बारी बारी राखी बांधी। प्रिया को "दादी मां की कहानियां" किताब उपहार स्वरूप मिली। 

फैमिली फोटो खींची गई। और फिर खाना खाया गया। खाने में पूरी, खीर,आलू टमाटर की रसे वाली सब्जी थी।बुआ घेवर लेकर आईं थीं। सभी ने खूब आनंद लेकर खाया। शाम को मेला देखने गये । मेले में खूब भीड़ थी।शहर के लोग परिवार सहित आनंद ले रहे थे ।

अगली शाम बुआ और देवक को वापस जाना था।रात से ही पूरे दिन की तैयारी हो चुकी थी। सुबह सभी मंदिर गए मंदिर दर्शन के बाद धन्ना हलवाई की दुकान पर समौसा जलेबी खाई।बुआ के लिए मिठाई पैक करवाई। वहीं से खरीददारी करने निकल गये ।पापा मम्मी ने बुआ को उनकी पसंद की सुंदर साड़ी दिलवाई। फूफाजी के लिए शर्ट पैंट और देवक को उसकी पसंद के कपड़े दिलवाये । 

 बुआ के जाने का समय हो रहा था। प्रिया को अच्छा नहीं लग रहा था।बुआ ने जाते वक्त एक पैकेट मोहक और प्रिया को दिया ।दोनों बहुत खुश थे ।

जाते समय बुआ मम्मी से गले लगी उनकी आंखें नम थी। प्रिया उदास हो गयी ।पापा की आंखें भर आईं। वे बुआ के आंसू पोंछते हुए बोले "पगली हम कहाँ दूर हैं,जब आवाज लगाओगी पहुंच जायेंगें," 

 देवक के जन्म दिवस पर भाभी और बच्चों को लेकर आना मत भूलना भैया। जरूर आइये। मैं इंतजार करूँगी ।मामाजी आप प्रिया और मोहक को लेकर आयेंगे ना देवक चहकते हुए बोला। हाँ बेटा हम सब आयेंगे ।

जैसे ही बुआ की गाड़ी रवाना हुई, पापा उदास हो गये।प्रिया ने पापा की उंगली पकड़ पापा को पुकारा। प्रिया को देख पापा मुस्कुरा उठे। 

           


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