प्यार का बंटवारा
प्यार का बंटवारा
श्रुति ५ साल की लड़की थी और मेरे पड़ोस में ही रहती थी, वो बहुत ही हंसमुख स्वभाव कि बच्ची थी। उसके माता पिता दोनों सर्विस करते थे और सुबह सुबह काम पे निकल जाते थे। दोनो में से कोई एक श्रुति को अपने साथ ही ले जाता था और स्कूल में छोड़ देता था और स्कूल से ले भी आता था। दोनों का वापिस आने का वक़्त तय नहीं था इसलिए वो घर की चाबी का गुच्छा मेरे पास छोड़ जाते थे। जो भी पहले आता वो चाबी मुझसे ले लेता था।
श्रुति पास में ही एक प्लेस्कूल में पढ़ती थी, जब कभी उसकी छुट्टी होती वो श्रुति को भी मेरे पास छोड़ जाते थे। श्रुति एक बहुत ही समझदार और खुश रहने वाली बच्ची थी, वो या तो टीवी देखती रहती या फिर बाहर जा कर और बच्चों के साथ खेलती रहती थी, तंग बिलकुल नहीं करती थी।
कुछ देर बाद उन्होंने मुझे चाबी देनी बंद कर दी ,शायद उन्होंने दो चाबी बनवा ली थी और दोनों एक एक चाबी ले जाते थे। कभी कभी उनके घर से थोड़ा लड़ने झगड़ने की आवाजें भी आने लगीं। फिर मुझे पता चला की दोनों में काफी अनबन चल रही है और दोनों एक घर में होते हुए भी अलग अलग कमरों में रह रहे हैं।
एक दिन जब वो श्रुति को मेरे पास छोड़ के गए तो श्रुति बहुत शांति से बैठी रही और उसका चेहरा भी मुरझाया हुआ था। मैंने जब इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि पापा मम्मी में बहुत लड़ाई होती है और कई बार तो पापा मम्मी को पीटते भी हैं और कभी कभी तो उसे भी थप्पड़ लगा देते हैं। मुझे एहसास हो गया कि उन दोनों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा।
कुछ दिन बाद पता चला कि दोनों ने तलाक की अर्जी डालने का मन बना लिया है। एक दिन श्रुति के पापा मेरे पास आये और कहने लगे के विटनेस के लिए आप को कुछ कागज़ों पे सिग्नेचर करना है, मैंने भी हाँ कर दी।
जब मैं उनके घर पहुंचा तो दोनों के वकील कुछ पेपर ले के बैठे थे, उन्होंने जहाँ मेरे सिग्नेचर चाहिये थे ले लिए। इसके बाद वो ये डिसकस करने लगे के घर और जायदाद का बँटवारा कैसे किया जाये।
मैंने देखा कि श्रुति एक कोने मैं बिलकुल शांत बैठी है। मैं सोचने लगा के वो श्रुति का बँटवारा कैसे करेंगे और श्रुति शायद ये सोच रही थी के जब मम्मी पापा के प्यार का बँटवारा होगा तो उसे क्या मिलेगा।