पूरक
पूरक
"वाह! देखकर, सुनकर लगता नहीं कि ये बच्चे अनाथालय में पल-बढ़ रहे हैं।" विद्यालय की प्राध्यापिका, जो इन बच्चों के व्यक्तित्व को, उनके हावभाव को, बातचीत करने के तरीके को कुछ सामान्य ज्ञान की व धार्मिक बातें करके परख रहीं थी, ने कहा।
दरअसल अनाथालय के संरक्षक, इन बच्चों को विद्यालय में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा दिलाने लाए थे, लेकिन इन बच्चों ने अपनी प्रतिभा से साधारण क्षणों को भी असाधारण बना दिया। इन बच्चों के व्यक्तित्व से प्रभावित प्राध्यापिका ने अनाथालय के संरक्षक से इनकी इतनी अच्छी परवरिश का राज जानना चाहा, तब संरक्षक महोदय ने सिर्फ़ इतना कहा - "हमारा अनाथाश्रम, वृद्धाश्रम की छत्रछाया में है, दोनों एक दूसरे को पूर्ण कर रहें हैं।"
