पश्चाताप
पश्चाताप
अभिलाषा आज कुछ हारी हुई सी, टूटी हुई सी नज़र आ रही थी, दो कमरे के किराए के मकान का दरवाज़ा खोल कर वही एक कोने में रखी कुर्सी में बैठ गई।
अपने बैग से कुछ पेपर निकाल कर उन्हें देखने लगी, जैसे-जैसे फाइल में रखे पेपरों को वह पलटती वैसे वैसे उसकी आंखों से आंसू बहने लगते।
आज उसका अपने पति से कानूनी रूप से तलाक हो चुका था। जिस व्यक्ति को प्रेमी से पति बनाने के लिए उसने बहुत कुछ खोया था आज उसने अभिलाषा से ही अपने को अलग कर दिया।
फाइन बंद कर अभिलाषा ने अपनी आंखों से आंसू पोंछ कर , वही टेबल पर रखी एक बुजुर्ग महिला की तस्वीर को सीने से लगा लिया और आंखें बंद कर वहीं चेयर में कुछ देर के लिए बैठ गई।
आज से 5 साल पहले का समय कितना अच्छा था,
यह सोचते वह अतीत में चली गई, मां जो उससे बहुत प्यार करती थी उसके लिए जो एक सहेली सलाहकार, प्रशंसक होने के साथ-साथ आलोचक भी हुआ करती थी जो उसकी गलतियों को नजरंदाज नहीं करती और उसे अपनी सलाह से सुधारती।
ऐसी मां के का साथ होने के कारण अभिलाषा ने अपनी जिंदगी में उन्नति के शिखर को पाया। अभिलाषा भी अपनी मां की सलाह का अनुसरण करते हुए अपनी जिंदगी को संवार रही थी, कि अचानक ही उसकी जिंदगी में राहुल नाम का एक लड़का आ गया, मित्रता से शुरू हुआ उनका यह रिश्ता कब प्यार में बदल गया अभिलाषा की मां को पता नहीं चला।
अभिलाषा की जीवन में राहुल के आने के बाद बहुत कुछ धीरे-धीरे बदलने लगा, मां की दी जाने वाली सलाह अभिलाषा को सजा लगने लगी।
मां ने अपनी बेटी के व्यवहार में आने वाले परिवर्तन को पहचान लिया। जब भी वह राहुल के बारे में अभिलाषा से कुछ पूछती तो अभिलाषा बात टाल देती।
अब मां बेटी के रिश्ते में धीरे धीरे दूरियां आने लगी और राहुल और अभिलाषा के रिश्ते में नजदीकी।
एक पारखी की नज़र रखने वाली अभिलाषा की मां राहुल के धूर्त व्यक्तित्व को समझने लगी थी।
उन्हें अभिलाषा का राहुल के साथ रात रात भर घूमना, वीकेंड में साथ रहना पसंद नहीं था, राहुल के अभिलाषा के जीवन में आने से बहुत कुछ बिगड़ने लगा, अभिलाषा का तरक्की का ग्राफ धीरे धीरे गिरने लगा, जो लड़की आत्मविश्वास से भरी रहती थी अब उसमें एक ठहराव आने लगा, अभिलाषा अब अपने छोटे से छोटे काम के लिए राहुल पर निर्भर रहने लगी।
अपनी बेटी की जिंदगी की दिशा बदलते हुए देख अभिलाषा की मां को बहुत तकलीफ़ होती, उन्होंने अभिलाषा को कई बार प्यार से, तो कई बार गुस्सा दिखा कर राहुल से दूरी बनाने को कहा।
लेकिन कहते हैं ना प्यार के आगे व्यक्ति अंधा और पागल हो जाता है। अभिलाषा के साथ भी ऐसा ही हुआ ,अभिलाषा मां के प्यार को पाबंदी और राहुल के प्यार को आज़ादी समझने लगी।
राहुल ने अभिलाषा का आर्थिक उपयोग भी करना शुरू कर दिया।
जब कभी अभिलाषा शादी के लिए राहुल पर दबाव डालती, वह उसके साथ हाथापाई तक करता। अभिलाषा के साथ इतना कुछ होने के बाद भी अविनाश अब राहुल को नहीं समझ पाई, मां की बातों पर ध्यान देना उसने बंद कर दिया और राहुल के लिए पागल रहने लगी।
बेटी की ऐसी हालत देख अभिलाषा की मां अब बीमार रहने लगी। धीरे-धीरे बेटी के दुख में वह घुलने लगी।
मां की इच्छा के विरुद्ध जाकर अभिलाषा ने आखिर राहुल से शादी कर ली और मां का आलीशान घर, ऐशो -आराम छोड़कर वह राहुल के साथ उसके घर चली गई।
कुछ ही दिन बाद अभिलाषा को अपनी मां की सलाह याद आने लगी जिन्होंने राहुल को देखकर उसके व्यक्तित्व का आकलन पहले ही लगा लिया था कि राहुल एक सज्जन पुरुष नहीं है।
अभिलाषा को राहुल की असलियत शादी के 1 महीने बाद ही पता चल गई वह हर तरह के नशे करता, दूसरी महिलाओं से उसके संबंध रहते और तो और उसकी पहले भी एक शादी हो चुकी थी।
वह अभिलाषा का उपयोग केवल उसके पैसों के लिए कर रहा था। अभिलाषा को अब हर तरह से प्रताड़ित करता हूं और उसे अपनी मां का घर बेचकर नया घर लेने के लिए विवश करता।
अभिलाषा राहुल के प्रेम में इतनी पागल हो गई थी कि उसने अपनी मां से सारे संबंध तोड़ लिए थे और अब वह किस मुंह से अपनी मां के पास जाए, उधर बेटी के गम में अभिलाषा की मां का स्वर्गवास हो गया।
मां के चले जाने के बाद अब अभिलाषा बिल्कुल अकेली हो गई और राहुल का अत्याचार उस पर और बढ़ने लगा।
राहुल अब अभिलाषा को उसकी मां की प्रॉपर्टी को बेचने के लिए जोर देने लगा। अभिलाषा इसके लिए उसे मना करती तो वह उसके साथ मारपीट करता।
मां को खोने के बाद अभिलाषा को लगा कि राहुल से शादी कर उससे बहुत बड़ी गलती हो गई है। मां के दिए संस्कार अभिलाषा के अंदर एक और जाग उठे और उसे इन अत्याचार से लड़ने के लिए शक्ति उत्पन्न करने लगे।
जिसके परिणाम स्वरूप अभिलाषा अब राहुल का विरोध करने लगी।
अभिलाषा के बदलते हुए रवैया को देखकर राहुल अभिलाषा से पीछा छुड़ाने के लिए इतना नीचे गिर गया कि वह अभिलाषा की हत्या का प्लान बनाने लगा।
मां की आशीष से अभिलाषा के सामने राहुल का षड्यंत्र खुल गया और दोनों एक दूसरे से अलग हो गाए।
अभिलाषा ने मां की बात ना मानकर अपना संपूर्ण जीवन स्वयं ही कष्टों में डाल दिया। अपने अतीत से वर्तमान में आते आते अभिलाषा की आंख लग गई, मां की तस्वीर छाती से लगाकर अभिलाषा कुछ देर के लिए सो गई।
कुछ देर बाद उसकी आंख खुली तो उसे ऐसा लगा कि मानो वह अपनी मां की गोद में सो रही हो।
आज अभिलाषा की आंख से गिरते पश्चाताप के आंसू भी उसकी मां को साक्षात उसके सामने नहीं ला सकते, जिस मां ने अपना पूरा जीवन अपनी संतान की परवरिश उसकी उन्नति के लिए लगा दिया, उसी संतान ने उनकी सलाह ना मानकर अपने जीवन को तो बर्बाद किया ही साथ ही अपनी मां की सांसो को भी रोक दिया।
अभिलाषा को प्रेम में मिले धोखे ने पूरी तरीके से तोड़ दिया और उसे इस बात का एहसास हुआ कि जिसे हम बहुत चाहते हैं अगर वह हमें धोखा दे दे तो कितना दर्द होता है। मां ने भी उससे कितना प्यार किया था पर वह मां के प्यार को ना समझ सकी और एक झूठे रिश्ते में पड़कर उसने सब कुछ तबाह कर दिया।
