पलकों पर सजे ख्वाब
पलकों पर सजे ख्वाब
बड़ा अच्छा विषय है। सभी के पलकों पर कुछ ना कुछ ख्वाब सजे होते हैं । आज इसी विषय पर अपनी कहानी बता रही हूं।मैं भी जब छोटी थी बहुत सारे ख्वाब सजा कर बैठी थी ।कभी सोचती मैं दुनिया की सबसे सुंदर लड़की बन जाऊं ,बहुत अच्छी संगीतकार बन जाऊं। थोड़ी बड़ी हुई तो सोचती मैं सबकी क्लास की मॉनिटर बन जाऊं। फिर थोड़ी बड़ी हुई तो सोचती मैं एक बहुत अच्छी डॉक्टर बन जाऊं।
यह सारे सपने जो पलकों में सजा कर रखे थे यह तो धरे के धरे रह गए मगर उसके बाद जो परिपक्व सच में सपने थे, जो पलकों पर सजाए थे ।जो जैसे डॉक्टर नहीं तो डॉक्टर पति ही सही ,पापा जी को बोला सपना पूरा हो गया । डॉक्टर नहीं बनू तो, पैरामेडिकल ही सही, वह भी पूरा हुआ और मैं पैथोलॉजिस्ट बनी।
इनोसेंटली एक सपना देखा था की अच्छा घर मिले ।मेरी दो बेटियां हैं । एक को अच्छी इंजीनियर बनाऊं, एक को डॉक्टर बनाऊं ,और हाईएस्ट इंस्टिट्यूट में पढ़ाऊ ।मेरी शादी अच्छे घर में हो, घरवाले मुझको समझे ,और मैं प्यार से रिश्ते सजाऊ। और मैं अपने आप को बहुत खुशनसीब मानती हूं कि ,मेरे पापा जी ने मेरी डॉक्टर से शादी करने का सपना ,अच्छा घर देख करके शादी करने का सपना, बहुत प्यार करने वाला पति का सपना ,सब पूरा किया और मैं भगवान को धन्यवाद करती हूं कि उन्होंने दो प्यारी बेटियां और एक बेटा दिया, और तीनों ही पढ़ने में अव्वल थे और बहुत अच्छी इंस्टिट्यूट से टॉप इंस्टिट्यूट से पढ़ाई करके निकले और अच्छे इंजीनियर और डॉक्टर बने और अपने घरों में और अपनी जिंदगी में अपने जीवन साथी के साथ अच्छे से सेटल हो गए। अब तो भगवान से और क्या चाहिए। अब तो पलकों पर यही सपना है कि हम अब तक जिंदगी अच्छी तरह जिए हैं, तो आगे की जिंदगी भी बहुत स्वस्थ और प्रसन्नता से जिएं , और आपस में एक दूसरे से प्यार से जिएं ।और हमारा दोनों का साथ हमेशा बना रहे ।और बच्चों का प्यारा साथ हमेशा मिलता रहे। और नाती पोते की किलकारियां और और हंसी प्यार ऐसे ही बने रहे। और आप का साथ ऐसे ही बना रहे। नया नया लिखने का मिलता रहे और पढ़ने का मिलता रहे।
