सभी के पलकों पर कुछ ना कुछ ख्वाब सजे होते हैं । सभी के पलकों पर कुछ ना कुछ ख्वाब सजे होते हैं ।
दरअसल पूरण दिहाड़ी का मजदूर है और पिछले पंद्रह दिनों से ठेकेदार का काम बंद है। दरअसल पूरण दिहाड़ी का मजदूर है और पिछले पंद्रह दिनों से ठेकेदार का काम बंद है।
बन्धनों का अपना ही एक मोह है। इनमें अनगिनत कष्ट है। लेकिन इन कष्टों में ही हमारा सुख है। वह अपने दि... बन्धनों का अपना ही एक मोह है। इनमें अनगिनत कष्ट है। लेकिन इन कष्टों में ही हमारा...