पिरामिड

पिरामिड

10 mins
530



                                           

 शौक भी क्या चीज है इस शौक की खातिर इंसान क्या-क्या नहीं करता ,,,,,, खुद को भी बेचना पड़े तो बेचने तक को तैयार हो जाता है ! मेरी इस बात से शायद आप भी सहमत होंगे शायद नहीं भी ,,,,,, कैसे यह अपना-अपना नजरिया है , अपनी-अपनी सोच ! लेकिन मेरा मानना तो यही है कि शौक जब जुनून की सरहद पार कर जाता है तो इंसान सही-गलत का अंदाजा भी नहीं कर पाता है। ,,,,, बस उसका एक ही मकसद रहता है , किसी भी तरह से अपना शौक पूरा करना ,,,,,, ‘’ येन केन प्रकरेण ‘’ करके भी रहता है !


ऐसी ही थी हमारी मिसेज चढ्ढा ! वैसे वो स्वभाव की मृदु और मिलनसार थीं, अपने घर को भी टिपटाॅप रखती थीं जिस कमरे में , जिस सेल्फ पर देखो ,,,,,, चमचमाते बर्तन रहते थे वो भी बड़े करीने से मगर बाकी सामान एक के ऊपर एक , एक के अंदर एक कुछ ऐसे ठूंसा और घुसेड़ा हुआ रहता कि जरूरत पड़ने पर कोई जरूरी सामान भी नहीं मिलता यहां तक कि रोजमर्रा के पहनने वाले कपड़े भी वक्त पर नहीं मिलते फिर ढूंढने के चक्कर में इतना पसारा बिखर जाता तब समेटना भी नामुमकिन-सा है जाता । कभी तो इमरजेंसी में ऐसी प्रलय मंच जाती - इधर जल्दी तो उधर सामान का पता नहीं फिर कई बार तो पड़ोसियों से मांगना पड़ता और वहां से भी न मिलने पर खरीदना पड़ता , कभी वो ही सामान मिल जाता जो हफ्ताभर पहले ढूंढ़ रहे थे । इस तरह ये सिलसिला चलता रहता , हां बर्तन ,,,,, माशा अल्ला ,,,, इतने करीने से ,,,,, ढूंढने की भी जरूरत ही नहीं सामने से ही दिख जाते थे ! बस जनाब , समस्या थी तो अन्य सामान की ,,,,, जितनी जिसकी जरूरत उतना ही वो नजरों से ओझल और पहुंच से बाहर ! बेचारे चढ्ढा और बच्चे ,,,,, राम ही मालिक ,,,,, सब रामभरोसे ही तो चल रहा था । उनका तो सबकुछ मिसेज चढ्ढा के शौक पर हलाल हो रहा था ,,,,, जब देखो तब बर्तनों की ख़रीददारी ! अब कहीं भी बर्तन जमाकर रखने की जगह नहीं रही तो बहुत बड़ा सेल्फ खरीदा अब बर्तन वहां सजाए जाने लगे आखिर एक दिन बेचारा सेल्फ भी जवाब दे गया फिर मोह तो देखिए - नये-नये कपड़ों के बदले भी बर्तन मिस्टर चढ्ढा अभी दस दिन पहले ही नया सूट लाये थे आज उन्हें आफिस-पार्टी में पहनकर जाना था मगर बहुत ढूंढ़ने पर भी नहीं मिला तो सोचा - मॅडम ने कहीं इधर-उधर रख दिया होगा इसलिए कहा - अरी ओ भागवान , मेरा सूट जरा निकाल देना ।

       कौन-सा सूट ?

       वही ,,,,, जो इस आलमारी में हेंगर पर टंगा तो था !

       वोओओओ ,,,,, वो तो कितना पुराना हो गया था , पहनते तो लोग क्या कहते ! इसलिए मैंने बर्तनवाली को दे दिया ,,,,,, देखो , कितनी बड़ी पानी की टंकी दी है बेचारी ने ,,,,, बोल रही थी , ,,,,,, बहनजी , आज तो मेरा नुकसान हो जायेगा पर आप तो रोज के हैं तो एक दिन नुकसान भी सही ।"

      "नुकसान ,,,,, ? माय फुट ,,,,,,,, अरे बेवकूफ़ औरत , यह तुमने क्या किया ? नया सूट था , आज से बर्तन बंद ! सारे बर्तन कबाड़ी को दे दूंगा ,,,,, समझी ,,,,, पागल औरत ! हद हो गई अब तो एक ही जगह कितने , पता भी है पानी की जब सौ टंकिया और पड़ी है तो फिर ,,,,,,,, ! ओह नोओओओओ ,,,,,,, फॅटप ,,,,! यार जिस कमरे में देखो बर्तन यहां तक कि बॅडरूम की कपड़ों की अलमारियों में भी बर्तन ,,,, बस ,,,, अब बस !" सच में मैडम की इस आदत से सब परेशान ,,,, करें भी तो क्या करें ! मगर वो मानने वाली भी कहां थी ! पानी सिर से गुजर चुका था , कपड़ों के बदले तो लेती ही थी ,,,,,,, अब तो गहने भी देने शुरू कर दिए , चांदी की पायल टूट गई तो वो भी देने लगी .यह तो अच्छा हुआ जो चढ्ढा साहब उसी वक्त घर आये और बर्तन वाली के हाथ में पायल देखकर पहली बार इतना आपे से बाहर हुए .भगा दिया बर्तन वाली को ,,,,, मिसेज चढ्ढा को भी बहुत गुस्सा किया । आज पहली बार मिस्टर चढ्ढा को आग-बबूला होते हुए देखा तो घबरा गई फिर भी सहमी-सहमी बोली - जी वो तो टूटी हुई और पुरानी पायल थी ,,,,, आप भी ना एंवेंई ,,,,,, रोना आ गया ।

     अरे झल्ली , पायल टूटी, पुरानी है मगर है तो चांदी की ,,,,, सुनार को दे दो उसकी कीमत तो मिलेगी । तुम्हें पता है तुम्हारे बर्तनों के इस शौक ने कितना नुकसान किया है - अपनी बनारसी , कांजीवरम , कुचिपुड़ी , कोटा डोरिया- सिल्क , कश्मीरी सिल्क इत्यादि की साड़ियां ओल्ड फैशन के चक्कर में दे दी , परसों तुमने मेरा सिल्क का नया कुर्ता-पायजाम दे दिया । यार , मेरी आलमारी के सारे कपड़ों को भी अपने शौक पर कुर्बान कर दिया ,,,,, यह तो अपनी आर्थिक स्थिति अच्छी है जो मैनेज हो जाता है वरना तुम्हारे इस शौक ने तो रोजाना भूखा ही रखा होता अब बस यार तुम्हारा शौक़ ,,,,, ये सारे बर्तन कबाड़ी को जायेंगे । हर नई फैशन की साड़ियां खरीदती रहती हो फिर कुछ दिनों बाद शौक की भेंट चढ़ जाती है और फिर नया ,,,,,, फिर शौक ,,,,, ! प्लीज अब बंद करो यह सब ,,,,,,, बहुत हो गया तुम्हारा शौक़ !"  

    अजी जनाब , बात यहीं पर खत्म नहीं हुई , बेटा विक्की होस्टल से छुट्टियों में आया हुआ था उसके कपड़े थे तो नये मगर आज की फैशन के फटे-पुराने , लीर-लीर , चिथड़े उड़े हुए मां को बड़ी दया आई सो दे दिए बर्तनों वाली को बदले में ले ली और एक पानी की टंकी साथ ही आटे की परात भी ! शाम को बेटे के लिए चार जोड़ी नये कपड़े लाकर रख दिए , अब बड़ी खुश ,,,, खुशी के मारे फूली नहीं समा रही थी ! ये बर्तन वाली भी बड़ी चालाक ,,,, उसका फायदा ही फायदा , रोज़ ही आ जाती थी । आज बर्तन वाली की आवाज आई - भांडी वाली , भांडी ले लो भांडी ,,,,,, यह आवाज सुनकर मॅडम बेचैन ,,,, अब तो कपड़े भी नहीं है , क्या दें ! बेटे के लिए नये लाई थी वही तो है अभी तो उसने पहने भी नहीं है पर हां ,,,,, इनका एक कुर्ता-पायजामा है ,,,,, नहीं-नहीं , वो तो मंडे को मीटिंग के लिए चाहिए लेकिन वो तो परसों ही पहना था ,,,, नहीं ,,, रिपीट करना अच्छा नहीं लगेगा ,,,, दे देती हूं ! 

     विक्की अपने फ्रेंड्स के साथ मूवी जाने के लिए तैयार हो रहा था लेकिन यह क्या ,,,,, एक भी कपड़ा नहीं ! जोर से आवाज दी - मम्मा , मेरे कपड़े कहां रखे हैं ?

     "वहीं ,,,,,, तेरी आलमारी में ही तो हैं ."

     "नहीं ,,,, मेरे नहीं है आकर देखो । "

हांफते हुए आकर कहती है - "ये रखे तो हैं , मैं नये लाई हूं , देख ,,,,"

      "पर मम्मा , मेरे कहां है ?"

      "वोओओओ,,,, अरे कितने फटे-पुराने कपड़े थे छि ,,,,शर्म नहीं आती , लोग क्या कहेंगे चढ्ढाजी का बेटा और ऐसे कपड़े ? दे दिए मैंने बर्तन वाली को !"

       ओ मम्मा , फटे-पुराने नहीं ,,,,, नये थे अभी तो मैंने पहने भी नहीं थे और आपने ,,,, ? ये लेटेस्ट फैशन के कपड़े थे ,,,,,, आपके बर्तन ,,,, अभी भी शौक खत्म नहीं हुआ ! ओओओओ ,,,,, मम्मा "और पांव पटकता हुआ निकल गया ! मिसेज चढ्ढा हैरान ,,,, यह बाप-बेटे भी ना मेरी जान लेकर छोड़ेंगे ! रात को डिनर के लिए सब एक साथ बैठे , विक्की ने शिकायत अपने पापा से - "पापा देखिए ना मम्मा ने मेरे सारे कपड़े बर्तन वाली को दे दिए ,मुझे मम्मा वाले कपड़े नहीं पहनने , पहले वाले जैसे ही लेने हैं !"

     ओके सनी ,,,,,, "लेकिन रीना , मैंने तुम्हें बहुत बार समझाया , वोर्न किया ,,,,, कुछ भी तुम्हारे पले नहीं पड़ता ,,,, बस ,,,, अब बिल्कुल नहीं ,",,,, पुतर एक काम कर फॅक्ट्री में फोन करके गुप्ताजी को बोल - टेंपो लेकर आयें ।

     "लेकिन अभी रात को क्या काम है गुप्ताजी से ?"

     "ये सारे बर्तन भेजने हैं ताकि सारे वर्कर्स को बांट दें उन बेचारों की जरूरतें पूरी होंगी और यहां सिर्फ भीड़ है ,,,,, रीना , यह सबक है तुम्हारे लिए आज के बाद कोई बर्तन नहीं आयेगा । विक्की आज से हम दोनों के कपड़े तेरे रूम की आलमारी में रखेंगे हर वक्त ताला रहेगा एक चाबी तेरे पास , एक मेरे पास ! भागवान अब तो बस कर ,,,, देखो ,,, जहां देखो बर्तनो के पिरामिड बने हुए हैं , घर कितना खराब लगता है ! लेकिन तुम्हें तो कुछ भी समझ में आयेगा नहीं ।"

    "आप ऐसे-कैसे इतने ,,,,,, इतने सारे बर्तन वर्कर्स को दे देंगे ?"

    "जैसे तुम नये-नये कपड़े देती हो बर्तन वाली को !"

    "सच मम्मा , तुम इतनी क्रेजी हो एक दिन हमको भी दे दोगी बर्तनों के बदले !"

   " अरे वाह ! मैं बेवकूफ़ हूं जो तुम लोगों को दे दूंगी ? और फिर लेगा भी कौन तुम लोगों को ? कौन मुसीबत मोल लेगा ? तुम लोगों के सारे काम तो मुझे ही करने पड़ते हैं ! आये बड़े बर्तन बांटने वाले ,,,,, बड़ी मुश्किल से और मेहनत से इकट्ठे किए हैं हाथ नहीं लगाने दूंगी , आने दो गुप्ताजी को , देख लूंगी सबको ! पता है ऐसे बर्तन लाख रुपए में भी नहीं मिलेंगे ,,, यह तो भला हो बर्तन वाली का !"

    "हां , यह तो बिल्कुल सही है बर्तन वाली का तो भला ही हुआ है ! एक लाख के बर्तनों के बदले पांच लाख का तो सामान भी तो दे दिया घर का ,,,,,, वाह मॅडम वाह !"

     "सिर्फ कपड़े ही तो दिए हैं ,,,, सामान कौन-सा दे दिया ?"

     "कपड़े भी तो सामान में ही गिने जाते हैं । गहने भी दिए , वो पायल तो मैंने देख ली थी इसलिए बच गई वरना ,,,,,, "

    " वरना क्या , कपड़े फटे-पुराने ,,,, पांच लाख के कहां से हुए ? बेचने जाते तो एक धेला भी नहीं मिलता ,,, समझे ! गहने भी कोइ ज्यादा नहीं बस एक -दो टूटे हुए थे वो फिर पायल तो आपने वैसे ही हड़प ली थी ! मैंने तो उससे चांदी के बर्तन भी कितने सारे लिये हैं कहते-कहते ले आई , यह देखो ,,,, कितने सारे है !"

     "अच्छा , चांदी के बर्तन ? आर्टीफिसियल है , सिर्फ चांदी की पालिश है लेकिन तुमने अपना नेकलेस दिया था , याद भी है ? वो ये रहा ।"

     "पर आपके पास ?"

    " हां मेरे पास ! उस दिन मैं घर में था बहाना करके सो रहा था जब बर्तन वाली आई मैं सब देख रहा था जैसे ही वो बाहर गई उसके पीछे गया उससे बात की पुलिस की धमकी दी तब जाकर मानी नेकलेस वापस लिया ,,,,, यह नेकलेस कितने का है ,,,, मालूम है ,,,,, नहीं ना ? पूरे दस लाख का ! टूटा है तो रिपेयर कराओ या बदलकर नया ले लो पर ये बर्तन ,,,, आर यू क्रेजी ? बट नॉट यू आज फुली मॅड ! और फिर बर्तन वाली को आवाज दी जो बाहर विक्की के साथ खड़ी थी , मिस्टर चढ्ढा ही उसे पुलिस का डर देकर वापस लाये थे इसलिए विक्की को भी साथ में रहने को कहा ,,,, अंदर आई आमने-सामने पूछने पर मुकरने का सवाल ही नहीं था उसने जो भी लिया था कुबूल किया , मूल्यवान गहने-कपड़े जो थे वो तो उसने संभाल कर रखे थे सो मिल गए लेकिन कुछ मिस्टर चढ्ढा ने खुद उसे वापस दे दिए और ऊपर से दस हजार रुपए भी दिए बर्तन वाली को आया हुआ माल जाने का दुख तो था फिर भी उसे बहुत ही फायदा हुआ था उसी में संतोष करने में ही भलाई थी । बर्तन वालियों में ऐसा हौआ बैठ गया कि फिर कोई बर्तन वाली यहां तो क्या इस मोहल्ले भी नहीं आई ! मिस्टर चढ्ढा ने कहा -

"देखो मैडम , अपने इस ख़तरनाक शौक को तिलांजलि दे दो वरना ना ये तुम्हारे मिस्टर चढ्ढा रहेंगे और ना ही रहोगी तुम मिसेज च्ढ्ढा ! बस बैठी रहना अकेले पिरामिड बनकर इन बर्तनों के पिरामिड के बीच में !"

    "हां मम्मा , मैं भी नहीं रहूंगा आपके इन पिरामिडों में ! आय एम अ ह्यूमेनबिंग नाॅट अ डेड बाडी।


                                         ######


Rate this content
Log in