फैसला

फैसला

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क्या लगता है आपको क्यूँ आज नीरा कोफ़ी पे कोफ़ी पीयें जा रही है,सर पर जो तीन लकीरें खिंच गई है धमासान मचा है मन के भीतर,जैसे कई मोर्चों को संभालने वाले सैनिक को आदेश मिला हो की अब तुम किसी काम के नहीं तो क्या रिएक्शन होंगे..!


नीरा कोर्पोरेट जगत में बड़े पद पर बिराजमान सशक्त स्त्री, जो हर मसला चुटकीयों में सुलझाती है, आज हार गई, दिल सुबककर बाहर आने को मचल रहा था उसका,आख़िर कहाँ चूँकि हुई आज तक तो सबकुछ निबटा देती थी घर, आफिस, बच्चें, सास ससुर की सेवा ओर अंकुश को सारी जिम्मेदारीयों से मुक्त रखा,

ओर हाँ वीकएंड को हंमेशा अंकुश की अमानत रही, पूरे हफ्ते का प्यार देते..!


 सुबह ५ बजे से लेकर रात ११ बजे तक मशीन की तरहा ढ़ोती रही सब..!फिर आज अंकुश ने सिधे तलाक के कागज़ क्यूँ थमा दिए,पूछना चाहा क्यूँ ? पर दिमाग सून्न था न दलील के मूड़ में न झगड़े के,बस हेन्ड बेग उठाया ओर चली आई ओफिस,दरवाजे पर डोन्ट डिस्टर्ब का बाोर्ड लटका कर चेयर पे आँखें मूँदे बैठकर आँसुओं को आज़ादी दे दी जब तक भीतर से बाँध खाली न हो गया..!


तो क्या हुआ एक स्ट्रोंग नारी भी इस हालात में जब टूट जाती है तो दो आँसू तो बहा सकती है,कुछ नहीं सुझ रहा तो निकल पडी अच्छे से रेस्टोरेंट में आराम से जूस पीते हुए कुछ सोचूँगी अंकुश को काॅल करके पुछूँगी ये सोचकर..!


जैसे ही जूस का ऑर्डर दे रही थी की अंकुश को किसी लड़की का हाथ हाथों में लिए रेस्टोरेंट के अंदर दाखिल होते देखा, बस इतना ही सोचा बच्चें ओर सास-ससुर मेरे पास रहेंगे इतनी तो सक्षम हूँ की सबको पाल सकूँ..!


बस इस एक निर्णय पर पहूँचकर बेग से तलाक के कागज़ निकाले दस्तख़त किए ओर अंकुश के मुँह पर मारकर चल निकली,

ना दलील ना झगड़ा न कोई पूछपरछ सिधा फैसला..!


क्या नीरा का फैसला सही है ? 



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