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Uma Vaishnav

Others

3  

Uma Vaishnav

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नमक थोड़ा कम है

नमक थोड़ा कम है

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80


आज सुधा की सुसराल में पहली रसोई थी ।सुबह जल्दी उठते ही वह काम में लग गई । मन में उत्सुकता और थोड़ा भय भी था पता नहीं सब को उसकी बनाई रसोई पसंद आयेगी या नहीं । यही सोचते सोचते उसने सारा खाना बनाया। और इतना ही नहीं सुबह का सारा काम भी निपटाया। बाबूजी की चाय .. माजी के पूजा की थाली..., पतिदेव का नाश्ता... और छोटे देवर और नंद का लंच सब समय पर .. एक हो दिन में सारा काम संभाल लिया था ।

परीक्षा की घड़ी तो अब आई है,सभी खाने की टेबल पर बैठे हैं सुधा खाना परोश रही थी। मन में थोड़ा हलचल मची हुई था। पता नहीं सभी को खाना पसंद आएगा या नहीं कही कुछ कमी तो नहीं .. सुधा मन ही मन यह सोच ही रही थी कि बाबूजी बोल पड़े ...

"अरे .. बहू . वाहा . क्या खाना बनाया है ... बहुत स्वादिष्ट हैं ...वाहह.. वाहह!!"

'तभी माजी भी बोली ... "वाहह बहू .. बहुत अच्छा खाना बना है।"

सुधा बहुत खुश हो गई ।उसने मन ही मन सोचा .. चलो .. बाबूजी और मांजी को तो हमारे हाथ का खाना पसंद आया। पर पतिदेव जी..,.देवर जी और छोटी नंद ने कुछ कहा ही नहीं बस तीनों एक - दूसरे को देख रहे थे ।सुधा समझ गई कि कुछ न कुछ तो गड़बड़ जरूर है तभी ये तीनों कुछ बोल नहीं रहे हैं ।

सुधा .. (उदास होकर) "क्या बात है . जी, खाना अच्छा न

हीं बना है क्या ?"

तभी नंद बोली .. "नहीं . नहीं . भाभी... खाना तो अच्छा बना है ... बस थोड़ा .. नमक कम है।"

तभी सुधा . क्या .. पर.. माजी और बाबूजी ने तो कुछ नहीं कहा ...

पतिदेव:- (थोड़े रूखे स्वर में) "तुम खुद चख कर देख लो" .... ये कह कर... वहां से चला . जाता है।

सुधा ये जानने के लिए की आखिर खाना बना कैसा है थाली में खाना लेती है, और चखती है ... तब उसे पता चलता है कि . दोनों सब्जियों के और रायते में नमक बहुत ही ज्यादा है और हलवे में चीनी बिल्कुल भी नहीं ,सुधा मन ही मन ये सोच रही थी कि इतना खराब खाना बनने के बाद भी... माजी और बाबूजी ने उसे कुछ नहीं कहा . सुधा ये सब सोच ही रही थी कि तभी मांजी ने सुधा के सर पर हाथ फिरते हुए कहा ....

"कोइ बात नहीं बेटी ... तुम उदास मत होओ... आज बिगड़ा है.. तो कल सुधार .जाएगा ।हमें तुम्हारी मेहनत देखी है तुम सुबह से भूखी - प्यासी काम में लगी हो... सारा काम अकेली एक दिन में ही संभाल लिया .... इससे ज्यादा और क्या चाहिए?? मुझे यकीन है कि तुम खाना भी अच्छा बना लोगी ।"

ये बात सुन कर सुधा की आँखे भर आती है वो मांजी और बाबूजी को प्रणाम कर .. फिर से सारा खाना दुबारा बनाने रसोई की ओर चल पड़ती है!



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