नाक काटी रानी कौन थीं ?

नाक काटी रानी कौन थीं ?

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इटली के लेखक "निकलो मानसी" ने अपनी किताब " डी मोगोल" में नाक काटी रानी का ज़िक्र किया है।

शाहजहां ने 14 फरवरी 1628 को गद्दी संभालने के बाद सभी राजाओं को अपने राज्याभिषेक में बुलावा भेजा। सबने उसका न्योता स्वीकार कर लिया किन्तु गढ़वाल नरेश महपति शाह ने इस निमन्त्रण को ठुकरा दिया।

शाहजहाँ ने इसे सरासर अपना अपमान माना। उसने इस अपमान का बदला लेने की ठान ली।

नजीबाबाद का सुल्तान जो गढ़वाल को अपने कब्जे में रखना चाहता था, उसे जब यह बात पता चली, उसने शाहजहाँ को महपति शाह के विरुद्ध भड़काना शुरू कर दिया। उसने शाहजहाँ को महपति शाह की वीरता के बखान, गढ़वाल में सोने की खान के भण्डार और वहां की स्त्रियों की सुन्दरता के किस्से सुनाए और सही वक़्त का इंतज़ार करने को कहा।

इस बीच महपति शाह की दुर्घटना में मृत्यु हो गई। उनकी पत्नी कर्णवती ने अपने सात वर्षीय पुत्र पृथ्वीपति शाह को राजा घोषित कर दिया और स्वयं राज्य का संचालन करने लगीं।

शाहजहाँ को जब महपति शाह की मृत्यु की सूचना मिली ,उसने 1635 में सेनापति नज़बत खान के नेतृत्व में एक विशाल सेना गढ़वाल पर चढ़ाई के लिए भेज दी।

नज़बत खान ने रानी को धमकी दी की अब गढ़वाल साम्राज्य की नाक काटेंगे। गढ़वाली स्त्रियों को शाहजहाँ के हरम में नचवाकर शाहजहाँ के अपमान का बदला लेंगे।

महारानी कर्णवती अत्यंत क्रोधित हो गईं। 

उन्होंने मुगल सेना को अपने राज्य में आने दिया और जैसे ही मुगल सेना वर्तमान लक्ष्मण झूले के निकट पहुंची, गढ़वाली वीर सैनिकों ने मुगल सेना को दोनों तरफ से घेर लिया। अब मुगल सेना बीच में फँस गई। नीचे गंगा नदी की वेग में बहती धार ऊपर हिमालय के ऊँचे पर्वत। उनके लिए बचने के सारे रास्ते बन्द हो गए।

तब नज़बत खान ने कर्णावती को संधि का प्रस्ताव भेजा। महारानी ने जवाब भेजा कि यदि वे सब अपनी नाक काट कर दे दें तब ही उन्हें वहां से जीवित छोड़ा जाएगा।

मौत के भय से मुगल सेना ने अपनी नाक काट कर अपना जीवन बचाया। इस घटना से महारानी कर्णावती, नाक काटी रानी के नाम से प्रसिद्ध हो गईं।

इस अपमान से 1642 ईसवी में नज़बत खान ने आत्महत्या कर ली।



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