STORYMIRROR

Sri Sri Mishra

Children Stories Inspirational

4  

Sri Sri Mishra

Children Stories Inspirational

मुर्गे की कुकड़ू कु..

मुर्गे की कुकड़ू कु..

3 mins
206

मुर्गा आज भी अपने नियत समय से उठकर प्रायः रोज की तरह अपने भोजन की तलाश में निकल पड़ा और शाम होने से पहले तक वह लौटकर समय से बसेरे पर आ गया......।वह अपने परिवार का नियमित रूप से पूरा ख्याल रखता था ....और सब जानवर कभी दोपहर से उठते और कभी-कभी दिन भर सोते ही रहते जिससे उन्हें उस दिन भूखा ही रहना पड़ता........।

मुर्गा फिर दूसरे दिन तड़के उठकर कुकड़ू कु करता..। इससे उसकी जानवरों में अनबन हो गई..। सभी जानवर उससे कहते कि तुम इस जंगल से चले जाओ..। तुम्हारी कुकड़ू कु से हमारी नींद खराब हो जाती है ना खुद सोते हो ना मुझे सोने देते हो..।लेकिन मुर्गा अपने ही धुन में मस्त रहता और वह अपनी कुकड़ू कु से कभी बाज नहीं आता ..।

एक दिन बदले में मुर्गे ने सबको समझाया कि सुबह उठना चाहिए ..। पूरा दिन सोने से कोई लाभ नहीं ..तुम्हारा शरीर भोजन के बिना दुबला होता जा रहा है..।सुबह उठकर अपने भोजन की तलाश में निकलो और खा पीकर हष्ट पुष्ट रहो ..। लेकिन जानवरों पर कोई असर नहीं हुआ..।मुर्गे का यही नित्य कार्य था वह अपने भोजन की तलाश को पूरा करके सब की पहरेदारी करता ..।

एक दिन कुत्ते के बच्चे खेलते खेलते कुछ दूर निकल गए ।

इस पर दूसरे जंगल के खतरनाक जानवर उनके ऊपर धावा बोल दिया..। इस पर मुर्गे को कुछ आहट हुई और वह दौड़ कर उन बच्चों को बचाने के प्रयास में लग गया और अपनी तेज कुकड़ू कु की आवाज से खतरनाक जानवरों को भगाने में कामयाब हो गया और उन कुत्ते के बच्चों को सकुशल वापस उसकी मांँ के पास ले आया..।

बच्चे अपनी मांँ के पास पहुंच कर बहुत खुश हो गए मुर्गे ने उन बच्चों को समझाया कि वह एक निश्चित दायरे में ही खेले और रहे दूसरी जंगल की ओर कभी ना जाएं कुत्ते के बच्चे मुर्गे की बात मान गए..।इतनी बड़ी घटना घटने के बाद भी जानवरों की उस मुर्गे से अनबन ही रही.. कोई भी उस मुर्गे के साथ रहने को नहीं तैयार था अंततः मुर्गे ने निश्चित कर लिया के अब... मैं यहांँ से चला जाऊंगा..।

लेकिन अचानक फिर से जंगली जानवरों का झुंड उन सब के ऊपर टूट पड़ा इस पर मुर्गे ने हिम्मत ना हारते हुए फिर से उनका सब का सामना करके सब को सकुशल सुरक्षित बचा लिया...। अब सबको मुर्गे की अहमियत समझ में आने लगी आज यदि मुर्गा समय से उनको ना बचाता तो सब मौत के मुंह में समा चुके होते...। अब सब लोग मुर्गे के साथ रहने में राजी हो चुके थे और उसके ही बताएं नियमों से अपने जीवन का पालन करने के लिए तैयार हो गए..।

मुर्गा नित्य प्रति सुबह उठकर अपने हर कार्य को निपटा कर अनुशासित जीवन जीता था.. । वह सब की भलाई में ही अपनी भलाई समझता था इसीलिए वह रोज सुबह अपनी आवाज से सब को उठा कर ..अपने भोजन का इंतजाम करके फिर सब की पहरेदारी करना ही उसका लक्ष्य बन चुका था..। अपनी इस अच्छाई का गुण वह सब में भर देना चाहता था.....। अब सब लोग एक दूसरे के सहयोगी बन गए और मुर्गे की कुकड़ू के साथ सब नियत समय पर उठने लगे......।

निष्कर्ष:

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अनुशासित जीवन जीना चाहिए । हर कार्य समय पर करना चाहिए। इससे जीवन का भविष्य बहुत ही सुनहरा होता है और हम अपने जीवन में निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो जाते हैं ..क्योंकि समय बहुत अनमोल है..। नियत समय पर किया गया कार्य अपना रंँग जरूर बिखेरता है।



Rate this content
Log in