मोह जाल

मोह जाल

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माँ...माँ मेरा नाश्ता तैयार हुआ या नही! अगर नही तो जल्दी कर दो प्लीज ऑफ़िस के लिए रोज़ लेट हो जाता हूँ, नाश्ते के चक्कर में! ऐसा कहते कहते राम जल्दी जल्दी अपने ऑफ़िस की तैयारी में लगा हुआ था।

बस बेटा, कर रही हूँ! अब बूढ़ा शरीर है बेटा इतनी हिम्मत कहा है जैसी पहले थी। तो माँ थोड़ी जल्दी उठ जाया करो ना तुम्हें पता तो है कि निधि का भी ऑफ़िस होता है वो भी कहा संभाल पाती हैं रसोई का काम!ऊपर से तुम्हारा लाडला पोता आयुष उससे ज्यादा तो वो तुम्हें प्यार करता है तभी तो तुम्हारे पास छोड़ने में कोई दिक्कत नहीं होती! कहते हुए राम डाइनिंग टेबल पर बैठ गया और रमा जी द्वारा नाश्ते में बनाये गए आलू के गर्मागर्म पराठे खाने लगा।

अच्छा सुनो राम बेटा! सिर में बड़ा दर्द हो रहा है..वो कल रात मेरा चश्मा....!!!

अरे वाह! माँ आलू के पराठे बने हैं आज तो मज़ा आ जाएगा आपके हाथ के स्वादिष्ट पराठे खाकर..रमा जी की बात को बीच में काटते हुए कमरे से आती निधि तपाक से बोली। अच्छा माँ, प्लीज एक दौ पराठे अलग से पैक कर देना वो मेरी सहेली है ना ऑफ़िस की उसे आपके हाथ के पराठे बहुत पसंद है। जी ज़रूर, निधि बेटा! रमा जी बोली।

अच्छा माँ चलता हूँ ध्यान रखना अपना और आयुष का भी! राम बेटा, सुनो तो ...मेरा। अभी नही माँ,पहले ही लेट हो गया हूँ आपको ऑफ़िस जाकर फोन करूंगा कहते कहते राम ने अपनी गाड़ी की चाभी उठायी और चला गया।

रमा जी भी धीरे धीरे निधि का लंच पैक करके अपना और आयुष का नाश्ता बना कर खाने के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठी ही थी कि निधि भी ऑफ़िस जाने के लिए तैयार हो गई थी।

अच्छा माँ, मैं भी चलती हूँ, आज ऑफ़िस में इम्पोर्टेन्ट मीटिंग है और हाँ माँ, आज जब भी आपको टाइम मिले लड्डू ज़रूर बना देना बहुत मन कर रहा है आपके हाथ के लड्डू खाने का, कल राम भी कह रहे थे।

लेकिन निधि बेटा..मेरा चश्मा!!!!!रमा जी की पूरी बात सुने बिना ही निधि आयुष को प्यार कर के फ़ोन मिलाती मिलाती ऑफ़िस के लिए निकल गयी।

ऐसा देख रमा जी अपनी आंखों में आये आँसुओ को आयुष से छुपाते हुए उसे नाश्ता कराने में लग गयी और दूसरे हाथ मे पकड़े अपने टूटे चश्मे को उठा कर टेबल पर रख दिया और चुपचाप से सिर दर्द की दवाई खाकर लग गयी आयुष के साथ खेल में!!

लेकिन आज ना जाने क्यों रह रह कर रमा जी को राम के बाऊजी की कटाक्ष सत्य के रूप में बोली गयी बातें याद आ रही थी कि “जिन मोह के धागों में उलझ कर वो खुद के लिए जीना भूलती जा रही है एक दिन यही धागे उसके तन के साथ साथ मन को भी जख़्मी कर देंगे”!!!


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