Kameshwari Karri

Others

4.2  

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मन की बात

मन की बात

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रात के नौ बजे थे किरण सुबह से ऑफिस और घर का काम करके थक गई थी वैसे भी उसका सातवाँ महीना चल रहा था । इसलिए अब सोना चाह रही थी तभी फ़ोन की घंटी बजी उसने फ़ोन उठाकर हेलो कहा दूसरी तरफ़ से प्रशांति आंटी थी । हेलो आंटी !! इतनी रात गए फ़ोन किया सब ठीक है न । आंटी माँ की सबसे अच्छी सहेली थी दोनों ने साथ में पढ़ाई की थी । शादी के बाद भी दोनों ने अपनी दोस्ती को बरकरार रखा था । दोनों दिन में एक बार किसी भी समय हेलो हाय तो ज़रूर बोल ही लेती हैं । आज इन्होंने मुझे फ़ोन क्यों किया ? माँ से बात नहीं हुई है क्या ? क्योंकि आंटी विजयवाडा में रहती थी और हम लोग हैदराबाद में । पापा का बिज़नेस है यहाँ और मेरा ससुराल भी यहीं हैदराबाद में है । इसलिए माँ लोगों के घर के पास ही मैंने भी घर ख़रीदा और यहीं रहने लगी । फ़ोन पर प्रशांति आंटी की आवाज़ आई किरण सुनाई दे रहा है न ? किरण ने कहा —हाँ हाँ आंटी सुन रही हूँ बोलिए न क्या बात है । आज माँ से आपकी बात नहीं हुई है क्या? आंटी ने कहा तुम्हारी माँ की तबियत तो ठीक है न। हाँ !!आंटी ठीक है पर आप अभी ऐसे क्यों पूछ रही हैं फिर भी मैं एक बार पिताजी को कॉल करके फिर आपको बताती हूँ । उनके फ़ोन रखते ही मैंने कविता जो मेरी छोटी बहन है उसको फ़ोन किया और पूछा कि माँ की तबियत कैसी है ? उसने कहा - उन्हें क्या हुआ है ठीक ही हैं सो रही हैं शायद । 

फिर पाँच मिनट में ही कविता का फ़ोन आया दीदी मैंने सोचा था कि माँ सो रही है पर पापा ने कहा वह तो बेहोश थी अभी ही हम उन्हें अस्पताल लेकर आए हैं । डॉक्टर उनकी देखभाल कर रहे हैं । मैं भी अपने पति विवेक के साथ अस्पताल पहुँच गई । पापा क्या हुआ ? ऐसे कैसे माँ बेहोश हो गई और हम जान भी नहीं पाए ! ख़ैर डाक्टर ने क्या कहा है ? अभी थोड़ी देर पहले प्रशांति आंटी ने फ़ोन करके पूछा था माँ कैसी है मैंने कविता से पूछा तो उसने कहा वह तो सो रही है । उसी समय डॉक्टर शर्मा आए और उन्होंने कहा आपकी पत्नी को अब्जर्वेशन में रखा है कल तक सारे टेस्ट कर देंगे और आपको बता देंगे । अभी वे आइ सी यू में है ,इसलिए आप लोग घर जा सकते हैं ।यहाँ बैठकर कोई फ़ायदा नहीं है । कुछ ज़रूरत होगी तो हम कॉल कर देंगे फ़ोन अपने पास ही रखिए । 

पापा मैं और बहन घर वापस आ गए ।मैं विवेक के साथ आते समय रास्ते में ही प्रशांति आंटी को फ़ोन करके बताया कि माँ को अस्पताल में भर्ती कराया गया है ।आंटी ने अस्पताल का नाम पूछा मैंने उन्हें बताया फिर मैं घर आकर सो गई । दूसरे ही दिन हम सब नहा धोकर अस्पताल पहुँचे तो देखा ऑलरेडी आंटी आ गई थीं । वे माँ के रूम में गई और चमेली के फूल उनके बेड के पास रखी साथ ही अपने फ़ोन पर मोहम्मद रफ़ी के गाने धीमे स्वर में चलाने लगी । वहाँ तभी किरण भी अंदर आ जाती है और कहती है आंटी आइ सी यू में शायद यह सब मना है । कोई देख लेगा तो डाँटेंगे । प्रशांति आंटी ने कहा है कि नहीं किरण डॉक्टर शर्मा मेरे भाई हैं उन्होंने मुझे बताया कि पेशेंट की पसंद के काम करो शायद उन्हें अच्छा लगेगा और कुछ फ़ायदा होगा । जब आंटी बाहर आईं तो उन्होंने पूछा आप लोगों को पता है कि आपकी माँ को क्या पसंद है ? रियालिटी तो यह है कि हम बहनों को क्या हमारे पापा को भी नहीं मालूम था कि माँ को क्या पसंद है । इसलिए हम सबने अपना सिर झुका दिया था । 

मैंने कहा आंटी आप मुझे यह बताइए कि आपने मुझसे यह क्यों पूछा कि माँ की तबियत कैसी है ? आपको मालूम था कि कुछ हुआ है । पापा ने कहा क्या हुआ होगा !!!किरण …तुम भी ….सुहाना को घर में किसी भी चीज़ की कमी नहीं है ।सब कुछ तो है घर में ।अच्छे बच्चे सास ससुर पैसे और क्या चाहिए ? बस थोड़ा सा थक गई होगी ठीक हो जाएगी । प्रशांति ने सोचा कि सुहाना सच ही कहती रही ।इस घर में उसकी फ़िक्र किसी को भी नहीं है ।मैं इन्हें उसके दिल की बातों को बताऊँ तो भी शायद ये लोग नहीं समझेंगे ।इन्हें समझाना याने भैंस के आगे बीन बजाए जैसा ही होगा तभी किरण ने कहा —आंटी प्लीज़ बताइए न आप को माँ की तबियत के बारे में शक था क्या ? उन्होंने कुछ बताया है क्या ? 

प्रशांति ने कहा - "आप सब सुनिए …उसे आप लोग समझते हो या नहीं उसके बारे में आप लोगों को क्या मालूम है मुझे नहीं पता पर आज मैं आप सबको उसके बारे में कुछ बताना चाहती हूँ । आप लोगों को एहसास भी नहीं होगा कि वह कितनी उदास थी आलोक जी पैसे , घर लोगों को ख़ुशी नहीं देते । आप ख़ुद सोचिए वह सुबह से लेकर रात तक किसकी क्या पसंद है यह ध्यान में रखकर उनकी फ़रमाइशों को पूरा करती है । कभी भी आप लोगों ने उसे बताया था कि आपकी क्या पसंद है? हमारे चाहने वालों की पसंद या नापसंद को बिना बताए जान लेना ही असली प्यार होता है । किरण तुम्हें आलू के पराठे पसंद है दही के साथ, है न और कविता तुम्हें आलू के पराँठे बिलकुल नहीं पसंद हैं । तुम्हें पूरी और आलू की सूखी सब्ज़ी पसंद है मैं सही हूँ न । आलोक जी आपको रोटियों से परहेज़ है आपको चावल पसंद है और आपके माता-पिता को बिना मसाले , बिना मिर्च का खाना चाहिए और गिनाऊँ आप लोगों की पसंद को । उसे क्या पसंद है . आप लोगों को मालूम है नहीं न कभी भी आप लोगों ने उस पर या उसकी हरकतों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास नहीं किया होगा । 

"आंटी पर माँ किस बात से दुखी हैं । उसे क्या तकलीफ़ है बताइए न मैं जानना चाहती हूँ ।"

"किरण तुम परसों रात भर नहीं सोई प्रेगनेंसी के दौरान तुम्हें कुछ न हो जाए इसलिए रात भर तुम्हारे लिए जागती रही ।सुबह आते ही घर के काम थे ।कविता अपने दोस्तों के साथ टूर पर जाना चाहती थी ।सुहाना उसे भेजना नहीं चाहती थी पर आपके पापा ने परमिशन दे दिया था । इसलिए कुछ कह नहीं सक रही थी पर इन सबके कारण उसका बी पी बढ़ गया था । मैंने उससे कहा भी था कि डॉक्टर के पास चली जा क्योंकि बी पी बढ़ गया तो प्रॉब्लम हो जाएगा पर कहती है रहने दे सो जाऊँगी तो ठीक हो जाऊँगी । वैसे भी इस घर में मेरी फ़िक्र किसे है ।दूसरे दिन जब फ़ोन किया था कि कल अस्पताल गई थी कि नहीं तो कहती है नहीं "

!! नहीं गई कल मैं सो गई थी इतना थक गई थी कि मेरी नींद नहीं खुली और मैं माँ बाबूजी को शाम का नाश्ता नहीं दे पाई और उन्होंने भी मुझसे कुछ नहीं कहा पर आलोक के आते ही माँ ने चुग़ली लगाई कि आज शाम से कुछ नहीं खाया है तेरी बहू तो सो रही है महारानी की तरह और मुझे कमजोरी आ गई है तो चल डॉक्टर के पास मुझे ले जा । आलोक को ग़ुस्सा आया कि उसके माता-पिता का मैं ठीक से ख़याल नहीं रख रही हूँ कमरे में आकर चिल्लाने लगे कि तुमसे नहीं होता है तो कह दो मैं अपने माता-पिता का ख़्याल ख़ुद रख लूँगा पर इस तरह से इस उम्र में उन्हें तकलीफ़ मत दो । मैंने उनसे कहा भी कि मैं भी साथ चलूँगी हल्की सी झपकी आ गई थी पर मेरी बात सुने बिना ही ग़ुस्से से बाहर जाते हुए कहा तुम सोती रहो आराम करो मैं अपने माता-पिता के साथ चला जाऊँगा । एकबार भी न पति ने सोचा था और न ही सास ससुर ने कि हमेशा ध्यान रखने वाली बहू आज क्यों सो रही है उसे कुछ तकलीफ़ तो नहीं है परंतु नहीं किसी के भी मन में यह बात नहीं आई ।और उसने अपने दिल की बात दिल में रख लिया । मुझे डर था कि उसकी बी पी बढ़ न गया हो इसलिए मैंने तुमसे पूछा था कि माँ की तबियत कैसी है और कुछ नहीं । आलोक को लगा इतने सालों से हम साथ हैं एक मशीन की तरह काम कर रही है एक बार भी मैंने उसके बारे में नहीं सोचा सच ही तो कहा प्रशांति ने कि हम जिन्हें चाहते हैं उनकी पसंद नापसंद पता चल ही जाता है मैंने तो कभी उस पर ध्यान ही नहीं दिया मुझे लगता था कि पैसे और बड़े घर से आराम मिल जाता है । 

"हे ईश्वर !!सुहाना को जल्दी से ठीक कर दो अब मैं उसका ख़याल अच्छे से रखूँगा । वहीं लड़कियों ने भी सोचा माँ एक बार घर आ जाए बस हम उन्हें कोई तकलीफ़ नहीं होने देंगे । 

दोस्तों माँ कभी भी अपनी पसंद नहीं बताती है । जैसे वह हमारी पसंद नापसंद को ध्यान में रखती है वैसे ही हमें भी उसके बारे में सोचना चाहिए । क्योंकि एकबार समय हाथ से निकल गया तो वापस नहीं आता है । बाद में वही बात हो जाती है “अब पछताए क्या होत है जब चिड़िया चुग गई खेत “ और माँ लोगों के लिए कि कभी-कभी अपने दिल की बात बच्चों और पति तक पहुँचाना चाहिए वे हमारे अपने हैं मन की बात मन में ही रखने से अच्छा समय रहते बयान कर देना चाहिए । आप भी खुश रहिए दूसरों को भी खुश रहने दीजिए । 



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