Monika Sharma "mann"

Children Stories

5.0  

Monika Sharma "mann"

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मेरी मम्मी बन जाओ

मेरी मम्मी बन जाओ

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 दिल को छू गई थी ,उस छोटी सी नन्ही परी की बातें  श्री के मन को।

स्कूल में आज अविका का पहला दिन था। अविका ने पहले तो रोना-धोना मचाए रखा फिर धीरे -धीरे श्री के पास आकर बैठी। श्री बच्चों के साथ कभी छुक-छुक ट्रेन बनाती ,तो कभी पिकाबू खेलती ।

अविका को किसी भी खेलने में मजा नहीं आ रहा था ।

उसे चाहिए थी तो उसकी माँ । उसने श्री से कुछ नहीं कहा ,मगर उससे बातें करने की इच्छा थी उसकी । श्री ने भी उसको पूरा -पूरा समय दिया, क्योंकि आज उसका स्कूल का पहला दिन था।

छुट्टी जल्दी हो गई थी,जब वैन अंकल आये अविका का को ले जाने हैं तो अविका ने जाते -जाते श्री के गाल पर एक चुंबन किया।

श्री इस अचानक आए प्यार से हैरान थी, क्योंकि आज सुबह से अविका सिर्फ उसको देखे जा रही थी, मगर बोलती कुछ ना थी।

अगले दिन जब स्कूल लगा श्री 5 मिनट लेट हो गई। अविका ने पूरी क्लांस अपने सर पर उठा ली, लेकिन श्री के क्लास में घुसते ही चुप । श्री को कुछ कहती न थी बस उसकी टेबल के पास आकर खड़ी हो जाती और अंगूठा चूसने लग जाती

एक दिन श्री ने पूछा "अविका क्या मेरी गोदी आना चाहोगी" अविका ने अपनी गर्दन हिला दी ।

श्री ओर बच्चों के साथ व्यस्त हो गई।तभी अविका की निगाहें जहां जहां श्री जाती उसके पीछे पीछे उसके पीछे श्री जाती उसके पीछे पीछे जहां श्री जाती उसके पीछे पीछे उसके पीछे निगाहें जहां जहां श्री जाती उसके पीछे पीछे ही रहती ,फिर जब सब बच्चे खाना खाने बैठे तो अविका ने देखा मैम तो अपना काम कर रही है ,उन्होंने तो कुछ नहीं खाया उसने अपने टिफिन से रोटी का एक टुकड़ा बना कर श्री की तरफ बढ़ाया " मैम आप तालों श्री को अविका की  प्यारी सी तोतली आवाज बहुत प्यारी लगी। श्री ने उस

के गाल पर प्यार किया और कहा "नहीं बेटा आप खाओ "।

अब तो जैसे अविका को पंख लग गए ,श्री से बोली आप मेरे घर चलोगी ,मेरे साथ खेलोगे।श्री ने कहा हां -हां क्यों नहीं मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे घर चलूँगी लूंगी ।

अब तो अविका ने श्री को अपने घर की सारी बातें बताई ।

पापा कब ऑफिस जाते हैं मम्मी कैसे फोन में बिजी रहती है और गेम खेलती रहती है।

जब भी वह अपनी माँ को उसके साथ खेलने के लिए कहती तो, वह कहती अभी नहीं,या फिर आया के साथ खेल लो ,उसने अपनी छोटी सी डॉल की पिक्चर बनाकर सी डॉल की पिक्चर बनाकर भी दिखाई। आया के साथ खेल लो उसने अपनी छोटी सी डॉल की पिक्चर बनाकर श्री को दिखाई।

मैम यह जो मेरी आया है ना यह सब खेलती है मैंने इसका नाम श्री मैम रख दिया क्योंकि वह सब बच्चों के साथ खेलती है मम्मी की तरह फोन पर नहीं लगी रहती ।

तब अविका नेअपने मन का गुबार श्री के सामने रखा ।

श्री ने कहा मैं आज तुम्हारी मम्मा को यह बोल दूंगी कि वह अविका के साथ खेले अविका डरते हुए कहा नहीं नहीं आप उन्हें कुछ मत बोलना वरना मेरी मम्मा मुझे मारेगी ।

अविका ने कहा मैम मैं आपको मम्मी बोलू । आप मेरी मम्मा बन जाओ ।श्री ने जैसी है सुना हंस हंस कर लोटपोट हो गई । बोली देखो क्लास में मैं तुम्हारा ध्यान रखतीहूँ ना तो मैं यहां तुम्हारी मम्मा ,लेकिन घर पर तो तुम्हारी मम्मा है ना।

तब अविका ने अपने भोलेपन में बोला कोई बात नहीं उस मम्मा को कहीं बाहर भेज देते हैं और श्री मामा को घर में रख ले आते हैं ।

श्री मन ही मन मुस्काई और उस प्यारी सी बच्ची के भोलेपन पर उसको बहुत प्यार आया।

कैसे माँ बाप है फोन में रहकर ,अपने बच्चों का बचपन खो रहे हैं ,उनको बढ़ते देखना ही नहीं चाहते ,जैसे फोन ही सब कुछ हो गया है उनके लिए। 


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