Chandresh Chhatlani

Children Stories

3.9  

Chandresh Chhatlani

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मेरा डोरेमोन

मेरा डोरेमोन

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निक्की इस बार फिर फेल हो गया।

स्कूल में टीचर मैम ने सब बच्चों के सामने उसकी हँसी उड़ाई और घर पर भी पापा और मम्मी की बहुत डांट पड़ी। रोते हुए निक्की को दादी उसके कमरे में ले गयी और उसे अपने हाथों से खाना खिलाने लगी, रोते हुए निक्की ने कहा, "दादी, काश ! मेरे पास भी एक डोरेमोन होता और एक ऐसा गेजेट दे देता जिससे मुझे सब कुछ याद रहता तो मैं स्कूल टॉप कर लेता।"

दादी मुस्कुरा दी, और खाना खिलाने के बाद उसे सुलाते हुए भगवान कृष्ण की कहानी सुनाने लगी कि वे एक ग्वाले थे लेकिन बड़े होकर गीता जैसा ग्रन्थ अर्जुन को खड़े-खड़े सुना दिया और युद्ध में जीत भी दिलवाई। निक्की कहानी सुनते-सुनते सो गया।

उसी रात उसने सपने में देखा कि उसके बराबर की उम्र का सांवले रंग का एक लड़का खड़ा है, जिसने बहुत पुराने तरीके के कपड़े पहने हुए हैं और सिर पर मोरपंख बांधा हुआ है।

निक्की ने उससे पूछा, "तुम कौन हो ?"

उस लड़के ने उत्तर दिया, "मैं कृष्णा हूँ, तुम्हारे लिए एक गेजेट लाया हूँ।"

निक्की ख़ुशी से उछल पड़ा और उसने कहा, "तुम मेरे डोरेमोन हो ना ! कौनसा गेजेट लाये हो ?"

उस लड़के ने अपने सिर से मोर पंख उतार कर उसे देते हुए कहा, "ये लो, कुछ भी पढ़ने के तुरन्त बाद इस मोरपंख को स्याही में डुबो देना और जो पढ़ा है वो एक कागज़ पर इस मोरपंख से लिख देना, तुम्हें सबकुछ याद हो जायेगा।"

निक्की ने पूछा, "सच में ऐसा हो जायेगा ?"

कृष्णा ने हाँ कहते हुए सिर हिला दिया।

निक्की ने उसी समय अपनी एक किताब निकाली उसमें से एक अध्याय को पूरा पढ़ा और उस मोरपंख को स्याही में डुबो कर लिखने लगा, और वही हुआ जैसा कृष्णा ने कहा था। निक्की ने जो कुछ पढ़ा था, वह लिख पा रहा था और उसे याद भी हो रहा था।

लिखने के बाद वह कृष्णा को धन्यवाद देने के लिए मुड़ा, लेकिन कृष्णा वहां नहीं था।

उसी समय दादी ने उसे जगाया। वह जागा और दादी के गले लग कर बोला, "दादी मेरा डोरेमोन आया था।"

दादी समझ गयी कि निक्की ने कोई सपना देखा है, निक्की चारों तरफ कुछ ढूँढने लगा, दादी ने पूछा, "क्या ढूंढ रहे हो ?"

"मेरा गेजेट जो कृष्णा डोरेमोन ने दिया था।" निक्की ने कहा, उसी समय उसकी नज़र टेबल पर रखे एक पेन पर पड़ी, चांदी के रंग के उस पेन पर मोरपंख बना हुआ था। निक्की ने वह पेन उठा लिया।

दादी ने कहा, “यह पेन तो कल तेरे पापा...”

निक्की दादी की बात काट कर बोला, "पापा नहीं, कृष्णा डोरेमोन ने मुझे दिया है ये गेजेट और देखो इसका जादू।"

कहते हुए निक्की ने जो अध्याय सपने में पढ़ा था, उस पेन से ज्यों का त्यों लिख दिया। दादी ख़ुशी से फूली न समाई।

निक्की अब रोज़ पढ़ने लगा और पढ़ कर उसी पेन से लिखता। इस कारण से उसे सब कुछ याद हो जाता। साल के अंत में रिज़ल्ट आया तो निक्की ने स्कूल टॉप किया था। प्रिंसिपल ने बहुत प्यार से पूरे स्कूल के सामने उसे एक ट्रॉफी दी। निक्की घर पर ट्रॉफी लेकर आया। घर पर भी सब बड़े खुश हुए, निक्की को बहुत प्यार और कई उपहार मिले।

निक्की ने उस पेन को चूमते हुए कहा, "ये सब मेरे कृष्णा डोरेमोन के मेजिकल पेन के कारण हुआ।"

दादी ने मुस्कुराते हुए उसके सिर पर हाथ फेरा और कहा, "हाँ बेटा ! भगवान कृष्ण ने यही तो सिखाया है। विश्वास, लगन, मेहनत और ध्यान सबसे बड़ी ताकत है, यह साथ हो तो तुम्हारी जीत पक्की है।"


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