Divyanjli Verma

Children Stories Comedy

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Divyanjli Verma

Children Stories Comedy

मच्छर की आत्मकथा

मच्छर की आत्मकथा

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मेरा नाम डीयो है। मैं अभी कुछ देर पहले ही पैदा हुआ हूँ। मेरे 300 भाई बहन भी मेरे साथ ही पैदा हुए थे। लेकिन अब, पता नही वो सब कहा चले गए।

हम लोग एक बड़े से तालाब में एक पत्थर के किनारे रहते थे। हमारी मम्मी ने हमे जन्म दिया और फिर पता नही कहा चली गई।

कुछ समय तक तो हम लोग वही पड़े थे। और पानी मे इधर उधर तैर रहे थे। फिर धीरे धीरे हम सब भाई बहन बड़े होने लगे। और पानी मे तैरना सिख लिया और जो भी मिलता उसे खा जाते।

ऐसे ही समय बीत रहा था ।तभी मैने अपने एक भाई को छलांग लगाते देखा । वो पानी मे गजब उछल रहा था तो मैंने सोचा कि मैं भी कोशिश करता हूँ। और जो थोड़ी सी कोशिश की और मैं भी पानी मे उछलने लगा ।

उछलते उछलते मैं तालाब के दूसरे किनारे पहुच गया था। अपने भाई बहन से बहुत दूर। और मुझे वापस जाने का रास्ता भी पता नही था। मैं वही उदास बैठा था । तभी मेरी दोस्ती सोइ से हुई। सोइ भी अपने भाई बहन से बिछड़ गया था तो हम दोनों एक दूसरे के दोस्त बन गए ।और फिर साथ मे खूब मस्ती की।

फिर मैंने देखा कि सोइ के पंख निकल रहे है। और वो पंख बड़े भी हो रहे थे। मैन सोइ से पूछा कि तुम्हारे पंख तो निकल आये ।मेरे पंख कब निकलेंगे। तो सोइ ने कहा कि ये पंख हर किसी के नही निकलते। बस कुछ ही के होते है।

और फिर सोइ उन पंखों से उड़ के कही चला गया। मैं उसका इंतजार करता रहा पर वो नही आया। उसने हमारी दोस्ती तोड़ दी।तभी मुझे महसूस हुआ कि मेरे भी पंख निकलने शुरू हो गए है। मैंने भी उड़ने की बहुत कोशिश की। मगर अभी वो पंख बहुत छोटे थे । इसलिए मैं उड़ नही पाया। धीरे धीरे जब वो पंख बड़े हुए तो मैंने एक उड़ान भरी । और इस बार मैं उड़ पा रहा था।

मैं उड़ते उड़ते तालाब से दूर, जंगल पहुच गया। तभी मुझे बहुत अच्छी अच्छी सी खुशबू आने लगी। जिससे मेरी भूख जागने लगी। वो खुशबू मुझे इतना मदहोश कर रही थी कि मैं बस उसी ओर उड़ने लगा।

  

वहां मैने दो पैर पर चलने वाले बहुत सारे प्राणी देखे। लेकिन जब मैं उनके पास जाता तो वो तालिया बजाने लगते। मुझे कुछ समझ नही आया कि मुझे देख के ये प्राणि ऐसा क्यों कर रहे है। तभी मैने देखा एक चार पैर पर चलने वाला जीव। उसकी एक पूछ भी थी। मैने उससे दोस्ती करने की सोची। लेकिन जैसे ही मैं उसके पास गया वो मुझे खाने की कोशिश करने लगा। मैं किसी तरह अपनी जान बचा के वहा से भागा। और एक पेड़ की डाल पर जाके बैठ गया।

भी मैं डाल पर जाके बैठा ही था। कि न जाने कहा से एक बालो वाला अजीब सा जीव आ गया और मुझे पकडने की कोशिश करने लगा। उसे देख के मैं डर गया। मैं समझ गया था कि ये भी मुझसे दोस्ती करने नही आया है। मैं काफी देर तक उससे बचने की कोशिश करता रहा। और उड़ के मैं दूसरे पेड़ की डाल पर बैठ गया।

 अब तक तो मैं थक चुका था। भूख भी बहुत तेज लगी थी। तभी पीछे से एक आवाज आईं ।

  

 "  तुम इस शहर में नए हो क्या? "

मैंने पीछे मुड़ के देखा तो वो मेरे जैसे ही दिखने वाला जीव था। मैंने उससे पूछा तुम कौन हो? तो वो बोला मैं सिली हूँ। मैं बहुत देर से तुम्हे ही देख रहा था। इससे पहले मैंने कभी भी तुम्हे यहा नही देखा। मुझे लगा तुम इस शहर में नए हो और बहुत परेशान हो तो मैं तुमसे दोस्ती करने चला आया।

दोस्ती, क्या कहा तुमने दोस्ती? मैंने कहा।

तो वो बोला " हा दोस्ती। अब तुम इस शहर में नए हो। किसी को जानते भी नही तो कोई तो दोस्त चाहिए होगा ना। पहले मैंने सोचा उससे दोस्ती कर लूं। लेकिन फिर मुझे सोइ की दोस्ती की याद आई। और कैसे वो मुझे छोड़ के चला गया था। ये भी ।

तो मैं उसे कुछ नही बोला। और चुपचाप जाने के लिए मुड़ा ही था कि तभी उसने फिर से पूछा कि क्या हुआ? कुछ गलत कहा क्या मैने। तब मैंने उसे सोइ और अपनी दोस्ती की बात बताई। तो ये सुनकर उसे भी बहुत दुख हुआ।

कुछ देर सोचने के बाद उसने मुझसे कहा कि देख भाई इस शहर में तू बिल्कुल नया है। इसलिए मैंने सोचा तू बहुत सीधा है तो तुझसे दोस्ती कर लेते है । लेकिन तू मना कर रहा है। चल भाई कोई बात नही। मैं इधर ही रहता हूँ। जब जरूरत हो आ जाना मेरे पास।

  

फिर वो वहा से जाने ही वाला था। तभी मैंने सोचा कि एक तो शहर नया है। ऊपर से भूख भी बहुत तेज लगी है ।दोस्ती कर ही लेता हूँ।नही तो ये अजीब से जीव तो बाद में मुझे मरेगे। उससे पहले तो मेरी भूख मुझे मार देगी।

तो मैंने उसे बुलाया।

" सिली ,यार मैं सोच रहा था कि हमे दोस्ती कर लेनी चाहिए।"

" मैं भी तो तुझसे यही कह रहा था मेरे भाई।" सिली ने कहा।

सिली - तो आज से अपने दोनों एकदम पक्के वाले दोस्त।

मैं- हा।

सिली - तो ,अब वादा कर की साथ मे गटर में घूमेंगे।

मैं- साथ मे गटर में घूमेंगे।

  

सिली - दो पैर वाले प्राणी का खून चूसेंगे।

मैं- चूसेंगे।

सिली - उस अजीब से दिखने वाले बंदर को काटेंगे।

मैं- बहुत काटेंगे।

सिली -   साथ मे मिल के गाना गयेगे।

मैं- गाएंगे ।

सिली - आज से तेरी मेरी दोस्ती पक्की।

और उसके बाद से मैं और वो पक्के वाले दोस्त बन गए।

फिर मैंने सिली  से कहा कि मुझे भूख लगी है। तो वो बोला कि चलो मेरे साथ । ताजा मीठा खून पिलाता हूँ।और फिर हम दोनों उड़ चले। वो आगे आगे था और मैं उसके पीछे। थोड़ी देर में हम लोग एक जगह पहुँचे। सिली ने मुझे बताया कि इसे घर कहते है। और उस घर के बगीचे में एक मोटी औरत बैठी थी।

  

सिली ने मुझे बताया कि इस मोटी औरत का खून बहुत ही मीठा है। मैं रोज इसका खून पिता हूँ। और भाग जाता हूँ। आ इसका खून पिलाता हूँ।

और फिर हम दोनों ने मिल के उसका खून पिया। सच मे बहुत मीठा खून था। खून पीने के बाद हम दोनों एक पेड़ के डाल पर जाके लेट गए। थोड़ी देर आराम करने के बाद सिली ने मुझसे कहा कि चल आ तुझे शहर घूमता हूँ।

और हम दोनों दोस्त चल पड़े शहर की सैर करने। घूमते घूमते रात हो गई और मैं थक गया था और मुझे भूख भी लगी थी । तो मैंने कहा कि सिली यार अब कही रुकते है मैं थक गया हूं। और भूख भी लगी है।

तो सिली ने कहा कि चल अब तुझे दारू वाला खून पिलाता हूँ । और वो मुझे एक दूसरी जगह लेके गया। जहाँ चारो तरफ चम चम lights थी। और बहुत सारे लोग भी थे। सिली ने मुझे बताया कि ये सब एक लाल पानी पीते है। और उसके बाद इनका खून पीओ तो बहुत मजा आती है।लेकिन पहले हमें ऐसा आदमी ढूढना होगा जिसने खूब सारा लाल पानी पिया हो।

बहुत ढूढ़ने के बाद हमे एक कोने में ऐसा आदमी मिल ही गया जिसने बहुत सारा लाल पानी पिया था। और वही जमीन में सोया था। तो हम दोनों उसके पास गए और उसका खूब खून पिया।थोड़ी देर बाद हम दोनों को भी पता नही क्या हो गया। हम उड़ ही नही पा रहे थे। मैं तो खून पीने के बाद वही पड़ा आराम करने लगा। और कब नींद आ गई पता ही नही चला।

कुछ देर बाद जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा वो आदमी जिसका हमने खून पिया था ।वो वहां नही था। और सिली का एक टांग और दोनों पंख टूटे हुए थे और वो वही पड़ा था।

मैंने सिली को उठाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो नही उठा। शायद वो मर चुका था। और फिर कुछ देर बाद मेरे पंख में भी जंग लगने लगी । वो कड़े होक अपने आप टूट गए। और फिर मैं भी सो गया। हमेशा के लिए।



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