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Sangeeta Agarwal

Others

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Sangeeta Agarwal

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मौत के सौदागर

मौत के सौदागर

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मुकुल अपने घर मे सबसे लाडला था,छोट तो था ही वो तीनों भाई बहनों में ,साथ ही पढ़ने में भी बहुत कुशाग्र बुद्धि।दसवीं क्लास में 10 सी जी पी ए से उत्तीर्ण हुआ था,स्कूल की हर एक्टिविटी में भाग लेता और आल राउंडर कहलाता।

उसके पिता दीनदयाल जी एक व्यवसायी थे,बड़ा भाई भी पढ़ाई बीच मे ही छोड़ पिता के संग व्यवसाय में लग गया था,यूं तो उसकी शादी एक पढ़ी लिखी,सुन्दर लड़की से हुई थी,एक बहन थी ,उसकी भी छोटी उम्र में शादी हो चुकी थी।

पूरे परिवार में मुकुल सबसे अलग था,उसे पढ़ना बहुत पसंद था।जब से भाभी आयी थी,उन दोनों भाभी देवर की आपस में खूब बनती।उसकी भाभी सोनम भी मुकुल को अपने सगे छोटे भाई की तरह प्यार करती थी।

इधर कुछ दिनों से मुकुल में कुछ बदलाव आने लगे थे,कुछ तो अभी तक वो सरकारी स्कूल में पढ़ता था जो घर के पास ही था और अब जबकि उसने स्कूल टॉप किया तो उसका अड्मिशन शहर के प्रसिद्ध प्राइवेट स्कूल में कर दिया गया था,वहां का माहौल,बच्चे,टीचर्स सभी कुछ बदले हुए थे।

आजकल वो मोबाइल पर बहुत व्यस्त रहता,घर में बाकी सब तो उसपर कोई संदेह करें ,इस बात का प्रश्न ही नहीं उठता,लेकिन उसकी भाभी को उसपर कुछ शक सा होने लगा था।वो उससे पहले जैसा घुल मिल कर बात भी नही करता था अब।

कुछ भी पूछना चाहती तो टाल देता,:अरे भाभी,पढ़ाई का बहुत प्रेशर रहता है,फिजिक्स,केमिस्ट्री मैथ्स मेरी जान ही ले लेंगीं अब तो।

भाभी खुद पढ़ी लिखी थी,लेकिन उसके हावभाव में भी कुछ फर्क नोटिस कर रही थी वो।

अपने पति से जब भी जिक्र करना चाहा,उसने खास ध्यान न दिया,सास से कहा तो उल्टे उन्होंने उसे ही सुना दिया:अरे ,चार किताब क्या पढ़ कर आई है,खुद को लाट साब समझती है,मेरा बेटा है वो,गलत काम करना तो दूर,उसके बारे में सोच भी नही सकता है।

मन मसोस के रह जाती वो,कोई उसकी बात क्यों नही समझ रहा।कुछ तो गड़बड़ है जो देवरजी मुझसे भी छुपा रहे हैं,वो रोज़ सोचती,मैं ही खुद चुपचाप पता लगाउंगी।

अब वो मुकुल पर ज्यादा नज़र रखने लगी थी,वो कभी कभी बहुत बेचैन रहता,छिप के रात में फ़ोन करता और बहाने बना बना के पैसे मांगता घरवालों से।

एकाध बार उसने टोकना चाहा तो फिर सास ने उसे डांट दिया,उसका पति भी उस दिन उसपर बहुत नाराज़ हो गया।

तुम रसोई का काम मन लगा कर करो,जासूस बनने की जरूरत नही है।वो बोला तो सोनम खिसिया गयी थी उस दिन।

एक बार उसके मन में आया,मुझे क्या पड़ा है जो मैं इन सबकी बात में टांग अड़ाउ,लेकिन फिर दिल के किसी कोने से आवाज़ आती,इतना होनहार लड़का कहीं गलत संगत में न पड़ जाए।

एक दिन मुकुल हड़बड़ाहट में घर से बाहर जाने लगा,जल्दी ऐसे थी जैसे कोई चोरी कर रहा हो,

उसने रोकते हुए पूछा:अरे इस समय कहाँ जा रहे हो मुकुल

उसने बुरा सा मुंह बनाया:नोट्स लेने जाना है दोस्त के पास

सोनम ने मन ही मन सोचा,इतनी घबराहट क्यों थी उसके चेहरे पर फिर,उसने मन ही मन कुछ निश्चय किया और मुकुल के पीछे हो ली,आज देख ही लूं,ये समय,असमय कहाँ जाता है।

थोड़ी दूर जाकर एक चौराहे पर मुकुल का कोई दोस्त खड़ा था,मुकुल उसको देख मुस्कराता हुआ उसके पास गया,सोनम को ये देखकर पल भर को खुद पर गुस्सा आया कि मैं क्यों बिना बात उसपर शक कर रही थी,वो पलटने को ही हुई थी कि उसने देखा,मुकुल का दोस्त उसे एक गाड़ी की ओट में ले जाकर कुछ पुड़िया सी दे रहा था और मुकुल ने उसे कुछ रुपये दिए।

वो चौकन्नी हो सब देखने लगी,उसने सोचा यहीं रंगे हाथों पकड़ती हूँ इसे नही तो सब उसे ही झूठा बता देंगे।

लगभग दौड़ती सी वो वहां गयी और मुकुल और उस लड़के से मिली।

उसे देखकर मुकुल का चेहरा डर से सफेद पड़ गया और वो अपने हाथों को पीछे की ओर छुपाने लगा जिससे उसका शक विश्वास में बदल गया।

सोनम ने कड़क कर पूछा तो वो रोने लगा:भाभी ,मुझे माफ कर दो,लेकिन मैं इसके बिना नहीं रह सकता,मैं मर जाऊंगा नहीं तो।

धीरे धीरे उसने सोनम को सारा किस्सा शुरू से बताया,कैसे उसके कुछ दोस्तों ने शुरू में पहले उसकी मज़ाक उड़ाई कि वो इतना बड़ा होके भी अपनी मम्मी का राजा बेटा है अभी,जा ,जा ,अपनी मम्मी की गोद मे जा के बैठ,अभी।

फिर उसे ये पुड़िया खरीदने को मजबूर किया,अब वो इसे नही लेता है तो उसकी जान निकलने लगती है,कमजोरी लगती है और चक्कर आते हैं।

सोनम समझ गयी थी कि वो नशे का शिकार हो चुका है।उसने मुकुल को कहा,अभी भी कुछ नही बिगड़ा है,तुम ये सब छोड़ सकते हो,हम तुम्हारा उचित इलाज़ करवा लेंगे,लेकिन एक और बार उससे ये समान लेने के बहाने उसे बुलवाना।

मुकुल डर गया कि अब क्यों बुलाना है उसे

सोनम बोली:जिससे उसे पकड़वाया जा सके,न जाने कितनी मासूम जिंदगी वो बर्बाद कर रहा होगा ऐसे।

मुकुल का कुछ दिन "नशा मुक्ति केंद्र "में इलाज़ चला

बहुत मेहनत और मुश्किल से वो ठीक हुआ,उस मौत के सौदागर,नशेड़ी को सोनम ने अपनी सूझबूझ से पुलिस के हाथों सौंप दिया।अब उसकी सास,ससुर और पति भी उसकी बहुत इज्जत और सम्मान करने लगे थे।

एक दिन उसके पति ने अकेले में उससे पूछा:तुम्हे ये सब जानकारी कैसे हुई?

सोनम ने बताया:उसके पड़ोस में एक छोटी उम्र का बच्चा सड़क पर पड़े अधजले सिगरेट के टुकड़े बटोर कर उनकी तम्बाकू इकठ्ठी कर उन्हें पीता था,जिससे उसे नशा हो जाता था,फिर उसकी बहुत तबियत खराब हुई,और एक बार उसने ऐसी ही एक मूवी देखी थी जिसमें एक अच्छे घर का बच्चा घरवालों के अंध विश्वास के कारण नशे का आदी हो गया था।

रोनित,उसका पति ,बहुत अहसानमंद था अपनी पत्नि का और उसे अनेकोनेक धन्यवाद कर रहा था जिसकी समझदारी से उनका परिवार बर्बाद होते बच गया था।



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