मैंने चॉकलेट ही तो माँगा था
मैंने चॉकलेट ही तो माँगा था
अब मुझसे चॉकलेट कौन मांगेगा ?"
शिउली मन ही मन बुदबुदाई और उसकी आंखें भर आईं।
आज...शिउली ने मंदिर से आकर पानी पीने के लिए जैसे ही फ्रिज खोला तो छुपाकर रखा हुआ चॉकलेट का बड़ा सा टुकड़ा नीचे गिर पड़ा। उसे उठाते ही उसे फिर से रोना आ गया।
वह पानी पीना भूलकर रोने लगी। तभी चिन्मय भी बाहर से आया और शिउली को कुछ बोलने ही वाला था कि उसकी आंखों में आंसू देखकर तेजी से उसके पास आया और उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए बोला,
"आर कानो ना शीऊ! ऐ जे तोमार छेले चोले आशवे आर तोमाके हारान कोरबे!"
अनुवाद:
(मत रोओ शीऊ! बस अभी तुम्हारा बेटा चला आएगा और तुम्हें फिर से परेशान करेगा!)
अपने पति की बात सुनकर शिऊली को और जोर से रोना आ गया। हिचकियां लेते हुए उसने कहा,
"बास कोरो तुमि! ऐक बार जे आमार शोना तोतोन चोईले आशे, आमार आर किछु चाई ना। आमार कोतोई हारान कोरे , आमी किछु बोलबोई ना। तुमि ओके खुजे निए ऐशो!"
"कोथाई हारिए गेली रे आमार शोना! आबार चॉकलेट के जे खुजबे आर के जे चूरी कोरे खाबे ?"
शिूली रो ही रही थी कि,
"आमार खोका र कोनो खोबर आछे ?"
(मेरे खोका की कोई खबर है?)
बोलती हुई ओनिमा जी भी लगभग रोते हुए ठाकुरघर से बाहर आईं।
अब तीनों ही एक दूसरे को ढांढस बंधा रहे थे।
दरअसल.…...
इस घर का चिराग और खुशियां पिछले दो दिनों से गायब था। तो घर वालों के चेहरे और घर की रोशनी दोनों ही बुझी हुई थी।
दरअसल तन्मय को उसके पापा ने दोस्तों के साथ पार्क में सिगरेट पीते हुए देख लिया था और घर आने पर उसे इतना डाटा था इतना जलील किया था कि शर्मिंदगी के मारे वह घर से भाग गया था।
पुलिस में रिपोर्ट लिखाने के बाद चौथे दिन कहीं जाकर मिला तनमय।
रेलवे प्लेटफार्म पर कैसे भी दिन गुजार रहा था। और अपने किए पर पछता रहा था। इधर उसके पापा भी अपने बोले हुए शब्दों पर पछता रहे थे। उन्होंने अपने बेटे के सामने प्रॉमिस किया कि वह अब उसे कभी नहीं डाटेंगे । अपने बेटे के दोस्त बनकर रहेंगे।
अब पिता और बेटे में एक पक्की दोस्ती हो गई थी और फिर तन्मय कभी घर से नहीं भागा।
