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Sunil Gupta teacher

Children Stories Inspirational

3  

Sunil Gupta teacher

Children Stories Inspirational

माया का चक्कर

माया का चक्कर

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 एक उपनुआ गाँव था वहाँ के पटेल साहब हरपाल सिंह थे वे दिन - रात माया के चक्कर यानि पैसा जोड़ने में लगे रहते थे किस विध कहाँ कहाँ से पैसा हासिल हो इसी उधेड़बुन में दिन - रात लगे रहते थे न भला खुद खाते - पहनते और न ही घर - परिवार के लोगों को करने देते थे पढ़ाई में खर्च होता है उसे बचाने के चक्कर में उन्होंने अपने दोनों लड़कों व लड़कियों को अच्छी शिक्षा से वंचित कर रखा था उनका मानना था कि बच्चे तो उम्र के साथ - साथ वैसे ही सीख जायेंगे अत : बच्चों की पढ़ाई की तरफ व बच्चों की इच्छाओं की तरफ उनका बिल्कुल भी रुझान नहीं था पत्नि भी अपने कंजूस पति के साथ घुट - घुट कर जी रही थी।

हरपाल पटेल ने बहुत सी जायदाद जोड़ रखी थी वह अच्छा ना खाते न दान करते और न ही अपना अच्छे से इलाज करवाते थे उनकी कंजूसी के चक्कर में गाँव वालों व रिश्तेदारों से उनका कटाव सा हो गया था बच्चे भी बड़े शादी वाले हो गये थे कंजूस बाप के अनपढ़ बच्चों से कोई भी शादी करने तैयार नहीं हो रहा था हरपाल अधिक परिश्रम से बीमार पड़ गया कंजूसी के चक्कर में इलाज नहीं करवाया अन्ततोगत्वा एक दिन हरपाल राम को प्यारे हो गये। सारा का सारा धन धरा का धरा रह गया। हरपाल पटेल माया के चक्कर में खुद रफू चक्कर हो गये।

 शिक्षायें : 1 ) हमें अधिक कंजूस नहीं होना चाहिए।

2 ) पैसा कमाने के साथ - साथ उसका सही इस्तेमाल करना भी आना चाहिए।

3 ) माया का चक्कर धन चक्कर बना देता है।


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