माँ की ममता
माँ की ममता
जंगल में एक हथिनी रहती थी, उसका नाम गोपी था।
उसका एक बेटा था, गोलू, गर्मियों के दिन थे। इंसानों ने जंगल में आग लगा दी और वह आग तेजी से फैल गई। ज्यादातर हाथी तो भाग गये किंतु गोलू हाथी आग से घिर गया। उसके साथ उसका दोस्त भोलू हाथी भी था।
गोपी माँ ने जैसे-तैसे गोलू को आग से बाहर निकाला। एक हाथी बोला- "चलो अब यहाँ से।" गोपी नहीं गई, नन्हे भोलू को देखकर उसकी ममता जाग उठी। वह पुनः आग में कूद पड़ी। सूंड के सहारे से उसने भोलू को आग से बाहर निकाला, हालांकि इस प्रयास में उसके पैर झुलस गये।
गोपी को अपने पैरों के झुलसने का कोई गम नहीं था। उसे खुशी थी कि उसने गोलू के साथ-साथ भोलू की भी जान बचाई।