Sunita Mishra

Children Stories Inspirational

4.0  

Sunita Mishra

Children Stories Inspirational

लत

लत

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तीनों बच्चों ने घेर लिया दादी को, कहानी सुनाओ दादी। दादी ने कहा, "दिन में कहानी न सुनी जाती है न सुनाई।"

"दिन में कहानी सुनने और सुनाने से क्या होता है दादी," रिन्की ने पूछा।

"मामा रास्ता भूल जाते हैंI"

"किसके मामा? सुनाने वाले के या सुनने वाले के," नानू दोनों बहनों से बड़े, सो दाग दिया प्रश्न।

"दोनों केI"

"रात में सुनेंगे दादी, रात में," मामा की लाड़ो छुटकी पिंकी बोली।

नानू पैर दबा रहे, रिन्की हाथ, पिंकी दादी के बालों पर हाथ फेर रही, माहौल बन रहा कहानी सुनने का...

"हाँ तो बोलो, राजकुमारी की कहानी सुनोगो?"

"नहीं... " समवेत स्वर उभराI

"भगवान जी की? जानवरों की? भूत की?"

"नई, नई, नई...और कोई-सीI"

"ठीक," दादी ने कहा,और अपने अनुभव को आधार बना शुरू की कहानी...

"एक बादशाह था। उसे कहानी गढ़ने का और सुनाने का बहुत शौक था। पर उसकी कहानियाँ ऊल-जलूल, बेकार अर्थहीन यहाँ तक की निकृष्ट कोटि की होती थीI "निकृष्ट माने," रिन्की ने पूछाI

"मतलब जिसका कोई स्तर न हो, एकदम खराबI"

"दादी आगे बोलिये," नानू को जिज्ञासा बढ़ीI

हाँ तो ये कहानी वो अपने दरबारियों को सुनाता। वो उसकी हाँ-में-हाँ मिलाते। वाह-वाह करते। बादशाह खुश होकर इन चमचों को इनाम देता, एक-एक सोने की मुहर। बादशाह के मंत्री को ये अच्छा नहीं लगता था। उसने बादशाह को समझाने की कोशिश की। पर बादशाह को वाह-वाही की लत थी। धीरे-धीरे कहानी सुनने वालों की भीड़ लगने लगी। क्या जाता,वाह-वाह ही तो करनी है। बदले में सोने की मुहर लो। लोगों ने अपने-अपने काम-धंधे छोड़ दिये। "बड़ा मूर्ख बादशाह था," नानू बोलाI "सुनो तो बेटाI" नतीजन खेत, खलिहान, व्यापार, सेना सब चौपट। राज्य का खजाना तली से जा चिपका। प्रजा आलसी, निकम्मी हो गई। बादशाह की वाहवाही लूटने की लत ने खुद को ही नहीं एक सभ्यता-संस्कृति को बरबाद कर दियाI बताओ क्या समझे तुम सब?"

तीनों चुपI "चलो हम ही बता देंI अपना कर्म करो, लालच मत करो। गलत बात का विरोध करो।चाटुकारिता से दूर रहो।"


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