"लालच" #14दिन पति का बटुआ

"लालच" #14दिन पति का बटुआ

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सरला अपने घर में सुकून से ज़िन्दगी गुज़ार रही थी मगर उसके भाई और भाभी चाहते थे कि सरला उसके आफिस में आए नए अधिकारी जय से शादी कर ले ।मगर सरला अच्छे से जांच परख लेना चाहती थी, उसको मालूम पड़ा था कि वो तलाक़शुदा है। सरला डरी हुई थी क्या मेरी इतनी उम्र होने के बाद भी मुझसे शादी करना चाहते हैं,। 

  सरला के भाई-भाभी को जय मना लेता है ,अपनी मिठी-मिठी बातों से सरला को मनाने की ज़िद करता है। जय का रोज़ घर आना घंटों घर के मेम्बर की तरह भाई के बच्चों के साथ खेलना भाभी के बनाए खाने की तारीफ करना। 

कुछ दिनों के बाद आखिर शादी के लिए सरला तैयार हो जाती है। एक छोटे से फंक्शन करके भाई-भाभी सरला को बिदा कर देतें हैं। 

 सरला अपने ससुराल पहुँचती है, वहाँ का माहौल कुछ अच्छा नहीं लगता है ननदें ,ससुर उनका इकलौता बेटा जय रहता है । कुछ दिनों बाद ही जय अपना और सरला ट्रांसफर जहाँ उसका घर रहता है, उस शहर में करवा लेता है। घर में जय की बहनों की ही चलती है। 

जय का भी बर्ताव चेंज हो जाता है। 

  सरला को जिस बात का डर था वही सामने आता है। जय और उसके घर वाले उसकी सैलरी पर हक जमाने लगते हैं ,जय का हुकुम होता है, सारी सैलरी मेरी बड़ी बहन के हाथ में लाकर देना और जो भी ख़र्चा चाहिए उससे ले लिया करो। सरला को उनका लालचीपन दिखने लगा। 

 सरला ने विरोध किया तो जय ने शादी के छह महीने बाद ही हाथ उठाने लगा। सरला को पति का बटुआ तो दूर वही उसके बटुआ पर डाका डालने लगा ।जय जब सख्ती करने लगा तो सरला अपने भाई के घर चली गई लम्बी छुट्टी लेकर। उसने भाई को सब बताया भाई में अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती। जय ही मेरा साथ नहीं देते बल्कि वो ख़ुद लालची है। 


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