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Poonam Kaparwan

Others

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Poonam Kaparwan

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कठपुतली

कठपुतली

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जैसा चाहा नचाया अपनों ने मैं नाचकर खुश होती। अंतर था बस तुम काठ की मैं आत्मा की। कभी परमेश्वर के हाथों कभी भाग्य तो कभी अपनों के। तुम धागों से और मैं बंधन सीमा रेखा में। एक जैसे तो हम। और हर इन्सान समय भाग्य के हाथों की एक कठपुतलियाँ।


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