डॉ0 साधना सचान

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5.0  

डॉ0 साधना सचान

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कर्तव्य

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 आज गणतंत्र दिवस है।नीतेश सुबह ही विद्यालय के लिए निकलता है।आठ बजे झंडारोहण के बाद अन्य कार्यक्रम होने हैं।चलते हुए उसके मन में अपने देश की विशेषताओं को लेकर विचार उठते हैं।संविधान के रूप में प्राप्त नियम जो देश को सुचारु रूप से चलाने में सहायक हैं और न जाने कितनी ही बातें उसके जेहन में आती हैं।उन शहीदों के प्रति उसका सिर श्रद्धा से झुक जाता है जिनके त्याग और बलिदान से ये दिन आया है।अचानक सड़क पर भीड़ देखकर वह अपनी गाड़ी रोक देता है।

उसने देखा सड़क के किनारे एक अधेड़ व्यक्ति घायल अवस्था में पड़ा है।पूछने पर पता चलता है कि एक तेज रफ्तार गाड़ी के ओवर टेक करते समय उसकी साइकिल में टक्कर लग गई और वह डिवाइडर से टकरा कर घायल हो गया।उस व्यक्ति के खून निकल रहा था तथा उसे होश भी नहीं था।नीतेश ने उसे अस्पताल पहुँचाने की बात की तो कुछ लोग बोले "कहाँ लफड़े में पड़ोगे पुलिस को फोन कर दो वही देखेगी।" नीतेश ने किसी की बात नहीं सुनी उसने घायल को उठाकर अपनी गाड़ी में लिटाया और अस्पताल की तरफ चल पड़ा।अस्पताल पहुँच कर उसने सारी जरूरी कागज़ी कार्यवाही की।उसने अपने आप को घायल का दोस्त बताया।इलाज शुरू होने के बाद उसने पुलिस को फोन किया तथा फरज़ान(घायल व्यक्ति)के फोन से उसके परिजनों को सूचना दी,यहाँ तक कि उसने फरज़ान को खून भी दिया।

थोड़ी देर में फरज़ान के परिवार जन और पुलिस अस्पताल पहुँची।डॉक्टरों ने बताया कि अब फरज़ान खतरे से बाहर है।उसके होश में आने के बाद नीतेश घर पहुँचा ,तब तक शाम हो चुकी थी।दूसरे दिन वह अपने स्कूल समय से पहुँच गया।उसे देखते ही प्राचार्य महोदय ने कहा कि आप कल कहाँ थे?आपने गणतंत्र दिवस कहाँ पर मनाया?इसका प्रमाण पत्र जमा करें नहीं तो आप को अर्जित अवकाश लेना पड़ेगा।नीतेश वापस अस्पताल पहुँचा उसने डॉक्टर से प्रमाण पत्र वाली बात बताई।

 डॉक्टर ने लिखा "नीतेश जी ने गणतंत्र दिवस हमारे अस्पताल में एक व्यक्ति की जान बचाते हुए मनाया तथा देश का सच्चा नागरिक होने का कर्तव्य निभाया।"फरज़ान की माँ नीतेश को दुआएँ दे रही थी।

       

     


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