कर्फ्यू का सातवां दिन
कर्फ्यू का सातवां दिन
ये तो बहुत ही अच्छा हुआ कि रामायण और महाभारत शुरू हो गई । न ये लॉकडाउन होता न ही ये रामायण शुरू होती ,क्योकि बचपन में तो रामायण देखी ही नहीं पाई मन में बहुत खेद रहता लेकिन क्या कर सकती थी घर की आर्थिक अच्छी न थी इसलिए बचपन से ही माँ ने नानी के पास रहने को भेज दिया वहाँ भी पूरा दिन काम ही करते रहो क्योकि दूसरे का घर था कुछ बोल भी नहीं सकती मन ही मन सोचती पता नहीं भगवान ने मुझे इस संसार मे क्यो भेजा हो सकता है कि मेरे नसीब में यही लिखा हो कि मुझे दूसरे के घर रहकर ही अपना जीवन बिताना था खैर कोई बात नहीं आज 30 वर्षों के बाद मेरी तमन्ना पूरी हो गई । अब में आराम से रामायण का हर एपिसोड देख सकती हूं । धन्यबाद उन सभी लोगों को जिन्होंने रामायण शुरू की।