कर्मा
कर्मा
फर्श पर बिखरे मोती, मेरे टूटे हुए हार के हैं दीवारों को नीला रंग दिया गया है, इन दीवारों को रंगा था मैंने, मेरे नाखून मैंने पेंट करने के लिए नष्ट कर दिए हैं! ये गुलाबी पर्दे, ये फूल यह जगमग बत्तियां यह सब अब मुझे सता रही है! उस तूफान के बाद मेरे कमरे में, अंधेरा है। सांस तेज चल रही है, कुचली आशाएँ, मन में हजार सवाल पछतावा हो रहा है, मुझे भरोसा क्यों हुआ, उसने ऐसा क्यों किया? अज्ञात छाया मेरे कानों में फुसफुसा रहे हैं, मेरे सिर को पीट रहे हैं, जैसे-जैसे मैं उस आयाम की ओर खिंचती गई। ये मेरे टुकड़े हैं, चारों ओर बिखरे हुए हैं।
हैलो, "मैं पुलिस स्टेशन से बात कर रहा हूं, क्या आप सार्थक नाम के किसी व्यक्ति को जानती हैं, उनका खून हो गया है।
यह सुनकर मेरे होश उड़ गए। मैंने कहा, " जी हां।"
इंस्पेक्टर ने बताया कि, जिस बिल्डिंग में लाश मिली है वहां के सीसीटीवी में कुछ रिकॉर्डिंग हो गई है, एक महिला के साथ एक आदमी ने मिलकर उसको मार डाला है। लाश की शिनख्त के लिए आ जाइए।" सार्थक यही नाम था, कितने वादे किए थे उसने इस शो के लिए, मन ही मन चाहने लगी थी। कितनी तैयारी हुई, शो भी हुआ। मुझे उस वीना पर शक हमेशा से था। लेकिन सार्थक मुझे एक बार कहता तो क्या मैं उसे जाने नहीं देती क्या। क्यूँ धोखा दिया। सारे पैसे ले कर यूं भाग जाना। आज वही पैसा उसका दुश्मन बना। क्या ये पहले से षड्यंत्र था। निविदाओं के लिए मेरे जीवन में कोई स्तंभ नहीं बचा
और हर जगह अंधेरा, जहां लौटने का कोई रास्ता नहीं बचा। पुराने टिकट बिखरे हुए, संवेग संग्रहीत हैं। मेरा पर्दा उड़ रहा है, हवा ने मेरे दरवाज़े खोल दिए।
सुबह हो चुकी है, कब तक आखिर मैं रोती रहूँगी, क्या मैं कमजोर हूं? नहीं। यह मजबूत होने का समय है, अकेली ही सही लेकिन अब निर्धारित, अनकहा युद्ध जारी है, मैं लड़ूंगी।
