तितली

तितली

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एक लड़की थी मिनी। १२ वें जन्म दिन पर उसका ऐक्सिडेंट हो गया। जिसमें उसकी टांगों में कुछ कमजोरी आ गयी। वह अब चल नहीं पाती थी। पर डॉक्टर ने कहा था कि वह अगर रोज़ बताए गए व्यायाम करेगी तो ठीक हो जाएगी। लेकिन मिनी मन हिम्मत हार चुकी थी। मां ने पापा ने सब ने बहुत समझाया पर वह उदास रहती। उसका मन खेलने को करता तो वह रोती।

एक दिन वह अपनी बगिया में बैठी थी, तभी वहां एक तितली आई और मिनी के पास ही रखे गमले में लगे फूल पर बैठ गई। मिनी उसे देखने लगी। तभी उस तितली ने उड़ने के लिए पंख खोले, उनको देख मिनी हैरान हो गई। उस तितली का एक पंख आधा टूटा हुआ था। मां पास में बैठी यह सब देख रही थी।

मिनी ने हैरानी के साथ जैसे ही मां को देखा, वह बोली, "तुम भी ऐसे बन सकती हो, अगर हिम्मत रखो और थोड़ी मेहनत करो।"

मिनी उस दिन सो न सकी। लेकिन अगली सुबह जो उसने किया वह देखकर मां पापा हैरान हो गए और खुश भी। मिनी सुबह उठ गई और डॉक्टर के बताए व्यायाम करने लगी। अब वह रोज ऐसा करती थी और बगिया में वह तितली रोज़ आती। मिनी अब खुश थी। धीरे-धीरे वह ठीक होने लगी। आखिर वह दिन आ गया जब वह अपने पैरों पर खड़ी हुई।


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