"कोरोना लॉक डाउन-8(आपबीती)"
"कोरोना लॉक डाउन-8(आपबीती)"


आज सुबह काम वाली काम कर के चली गयी पर मम्मी जी ने मना नही किया । बेटे की बात का मम्मी जी ने गलत अर्थ ले लिया। उसे झिड़क दिया, वो रुआँसा सा चला आया। नाराज हो गया है। मम्मी जी भी बहुत परेशान ही चुकी हैं खाना बनाते , घर सभालते, बार-बार उनके मुंह से निकल जा रहा है ,'अकेले ही सब कर रहे हैं।' कल बेटे को भी सबने समझाया कि दादी जी की घर के कामों में मदद किया करो उसके बाद फिर थोड़ा पढ़ने बैठ जाओ। तब से मम्मी जी उसे कुछ करने भी नहीं दे रहीं। कह रहीं हैं ये बस अपना समय से नहा धो ले ,पढ़ ले, खा ले हमको इस से कोई काम नहीं करवाना है
मगर अब शायद उनपर अति हो गयी है।पहले से अकेले आराम से रहती आयी हैं ।दोनों समय टहलने जाना, लोगों से बातें करना, मिलना-मिलाना। मन आया तो एक समय बनाया, तीनो वक्त खाया या जैसा भी लगा किया अब कुछ महीने से यहां जब से आईं हैं ,सब वैसा ही अच्छा अच्छा था। झाडू -पोछा-बर्तन-खाना-कपड़े फैलाना सबके लिए इन्होंने मैड कर दी थी कि सुबह भावना नाश्ता बनाकर ,कपड़े धुल कर स्कूल चली जायेगी फिर पीछे से मम्मी जी जैसा चाहें काम करवाएं, कोई पत्ता हिलाने की जरूरत नही। वे सिर्फ अपना दैनिक काम और पूजा पाठ करें।फिर अचानक ये मेरा बिस्तर पकड़ना और कोरोना का लॉक डाऊन। सारा एक दम से उनके ऊपर।अब वो खुले शब्दों में कह रहीं हैं" थोड़ा चल फिर लेने से शरीर ठीक होता है।" उनकी दिली इच्छा है कि मैं तुरंत ठीक हो जाऊँ।अभी परसों ही वे कह रही थी 'आज इन्जेक्शन नहीं लगवाना क्या? इसके बाद एक ही न रहेगा?!' जबकि एक दिन छोड़ कर एक दिन लगता है। हालांकि मैं भुल्लकड़ हूँ पर मुझे दर्द ताज़ा था तो कहा भी की अभी तो लगा!!, बोलीं तुमको कुछ याद भी रहता है !! फिर हॉस्पिटल फोन मिलाया, वहां से असिस्टेंट भी कन्फ्यूज हो गया। मम्मी जी को बोला मैं कल ही तो आया था।मम्मी जी चिढ़ गयीं थीं बोली" हम भूलते जरूर हैं पर हमें याद रहता है, कल कहाँ... परसों न आये थे?" फिर इनका फोन आया कि आज नहीं कल लगना है।
मैने आज दही चिवड़ा नाश्ते में खुद से जा कर ले लिया है, हॉट वाटर बोटल भी तैयार कर ली है, अपनी दवाइयों के लिए पानी वगैरह भी भर के बेड के पास रख लिया है। मशीन में कपड़े डाल दिये हैं और बेटे से कहा है कि ऊपर छत पर डाल आये।मम्मी जी के कमरे में गयी थी, अभी अपने कमरे में आराम से सो रहीं हैं। आज सीधे दिन का खाना बन गया है।
आज सुबह से टीवी नहीं खुला है, एक सन्नाटा सा है हर तरफ। फ्रिज ऑन है ये तक का पता पड़ रहा है। बेटा चुपचाप स्कूल से व्हाट्सएप्प पर टीचर से भेजे गए काम को कर रहा है।आज कुछ देर में मुझे टी कोन में जुड़ना है।देखते है, कैसा रहता है।
टी कोन ठीक रहा , बस कॉल ड्राप हो रही थी बार बार।आज फिर स्टोरी मिर्रर से ओपेन माइक पोएट्री में भाग लूंगी।दो कविताये चुनी हैं। आशा है कि इस बार डिस्टर्बेंस नहीं होगा।
अभी ओपन माइक पोएट्री में तीन कविताएं पढ़ी। फिर आज भी नेटर्वक का इशू था।
मम्मी जी आज किसी से फोन पर कह रहीं थीं कि मन ऊब गया है घर मे बैठे बैठे।मेरे इंजेक्शन के बारे में भी बता रहीं थी कि आज आखिरी है ।अब जब बाबू आएंगे तो ले जाएंगे डॉक्टर के पास तब देखो क्या कहते हैं।
टी वी और सोशल मीडिया पर, इंदौर में डॉक्टर पर पथराव की खबरें चल रहीं है।हद हो चुकी है बेवकूफ़ी की।जो बचाने आ रहा है उसी को मार रहे हैं??!
हे ईश्वर!! ये भी रोज ऑफिस जाते हैं कहते हैं मजबूरी है।जब कहा सब छोड़ दो जान है तो जहां है, आ जाओ।कुछ देर एकटक देखते रहे कुछ बोले नही, फिर बोले अभी तुम सिर्फ अपना ख्याल रखो, दिल जैसे कहीं नीचे गहरे चला गया। ये पति भी कैसे होते है न ?! आज बेटा भी नीचे बच्चों को खेलते-बुलाते देख ,जाने की जिद कर रहा था।बड़ी मुश्किल से समझाया।
कल सुबह मोदी जी कुछ संबोधन करने वाले हैं।उनका कुछ पता नहीं ,हमेशा अनपेक्षित ही करते हैं।कहीं कर्फ्यू तो नहीं डिक्लेयर करने वाले?? कर ही दें कुछ दिनों के लिए।