Vijay Kumar Tiwari

Others

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Vijay Kumar Tiwari

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खूबसूरत आँखों वाली लड़की-6

खूबसूरत आँखों वाली लड़की-6

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प्रमोद बाबू दोनो महिलाओं और मोहन चन्द्र जी की भाव-भंगिमा देख दंग रह गये।सुबह दूध वाले की बातें सत्य होती प्रतीत होने लगी।उन्होंने मौन रहना ही उचित समझा।अन्दर से पत्नी भी आ गयी।

मोहन चन्द्र बाबू उन दोनो महिलाओं से कुछ पूछते-बतियाते रहे।थोड़ी देर में पत्नी चाय बना लायी और सभी पीने लगे।उसी समय पुलिस की जीप सामने की सड़क की ओर मुड़ी और कुछ दूर जाकर रुक गयी।अपना-अपना कप लिए सभी बरामदे में निकल आये।यहाँ से देख पाना सम्भव नहीं था,मोहन चन्द्र जी आगे बाड़ की ओर बढ़ गये।कुतिया उठकर दूसरी ओर चली गयी और बिल्ली भीतर आंगन में भाग आयी।थोड़ी देर में जीप वापस मुड़ी और पीछे वाली सड़क से सीधे निकल गयी।मध्यमा की मां का चेहरा पुनः मलिन और उतरा हुआ लगा।

"कुछ तो गड़बड़ है,"मोहन चन्द्र जी ने पूरी गम्भीरता दिखाई और किंचित मुस्कराकर प्रमोद बाबू को देखा मानो अपनी बातों की गवाही दिखा रहे हों।सब वहीं बरामदे में बैठ गये।उन्होंने कहना शुरु किया,"अब भी लोग नहीं सम्हले तो सबको भयंकर हानि उठानी पड़ेगी।उन लोगों को अधिक जिनके घरों में जवान बहुएं और बेटियाँ हैं।"

दूसरी महिला ने तपाक से कहा,"मेरा तो बेटा है।"मोहन चन्द्र जी झुंझला उठे,"सुरक्षित वह भी नहीं है,खतरा आप पर भी है।समझने की कोशिश कीजिए।सभी को सतर्क रहना चाहिए।"

प्रमोद बाबू की दायी ने आते ही बताया कि उस बंगले से दो मर्दों को पुलिस पकड़कर ले गयी है।मोहन चन्द्र जी उत्साहित हुए,"मैं कहता हूँ तो लोग मुझे ही बुरा समझने लगते हैं।"उन्होंने मध्यमा की मां को देखा।उसकी नजरें स्वतः झुक गयीं।स्थिति थोड़ी बोझिल हो उठी।विषयान्तर के लिए प्रमोद बाबू ने दूसरी महिला के बेटे के बारे में पूछा।

"अब मुझे चलना चाहिए,"मोहन चन्द्र जी उठ खड़े हुए।प्रमोद बाबू उन्हें गेट तक विदा कर आये।

"आप कैसे इनको झेलते हैं?इनके घर वाले सभी परेशान हैं।कोई इनको अपने साथ रखना नहीं चाहता,"मध्यमा की मां ने मुस्कराते हुए पूछा।लगा,उनके जाते ही जैसे उसने मुक्ति की सांस ली है,वल्कि दोनो महिलाओं की वाचालता और उन्मुक्तता लौट आयी है।

प्रमोद बाबू ने कहा,"उनकी बातों को हमें सही सन्दर्भ में लेना चाहिए,अपनी और अपने बच्चों की चिन्ता करनी ही चाहिए।"थोड़ा भाव बदलते हुए उन्होंने कहा,"शायद कुछ गलत लोग आ गये हैं।यदि ऐसा है तो हम सबको सजग रहना चाहिए।"

"यही गलत हैं,"मध्यमा की मां आवेश में आ गयी,"सबको गन्दी नजर से देखते हैं।भूखड़ हैं और जिन्हें खराब कह रहे हैं,खुद उन लोगों से बातें करते हैं।सुनने में आया कि किसी ने इनको हड़काया है,तब से शान्त हैं।"थोड़ी शान्ति के बाद उसने कहा,"एक दिन मुझे भी उपदेश देने पहुँच गये।अरे,मुझे पता है कि मेरी बेटी कैसी है?किसके साथ आती-जाती है?क्या-क्या करती है?घर में कई दिनों तक तनाव रहा।बहुत रोयी वह।जब उसने आपसे बातें की,उस दिन से शान्त हुई है।हाँ,इस घटना से एक लाभ हुआ है कि उसने अपना लक्ष्य तय कर लिया है।उसकी कुछ दोस्त भी आपसे मिलने वाली हैं,अपनी-अपनी समस्याओं को लेकर।"

दूसरी महिला ने हंसकर कहा,"मेरे बेटे को भी बताईये।उसे लेकर आऊँगी किसी दिन।

प्रमोद बाबू हंस पड़े,"मोहन चन्द्र जी की समस्या का कोई हल खोजा जाय।आप लोग इनके लिए भी सोचिये।इतनी आयु हो गयी,बेचारे को औरत का सुख नहीं मिला।" मध्यमा की मां ने मुँह बनाते हुए कहा,"इनके पास कोई औरत टिक पायेगी?नारी के प्रति इनका नजरिया बहुत खराब है।"थोड़ा व्यंगात्मक भोड़ेपन से उसने कहा,"इसीलिए तो पगलाये रहते हैं।"

प्रमोद बाबू सारी बातों को याद करके मुस्कराते रहे,"कुछ चीजें कभी नहीं बदलती।जीवन यदि मनोनुकूल नहीं चल रहा हो तो हमें अपनी सोच बदलनी चाहिए।हमारा सबसे बड़ा दोष यही है कि हम हमेशा,हर घटना में,हर स्थिति-परिस्थिति में दूसरों को जिम्मेदार मानते हैं,दूसरों को दोषी समझते हैं।अपनी गलती कोई नहीं मानता।जब तक ऐसे सोचते रहेंगे,हमारे जीवन की समस्यायें बढ़ती रहेंगी।"

रात में मध्यमा ने फोन किया,"अंकल,मम्मी आज बहुत खुश हैं।आपसे मिलकर आयी हैं,तब से आपकी ही बातें कर रही है।जैसे उसके मन का कोई बोझ उतर गया है। घर का तनाव भी कम हुआ है।"

"मां-बाप की चिन्ता उनके बच्चे होते हैं।तुम्हीं उनकी खुशी का कारण हो और उनकी चिन्ताओं का भी।तुम्हारा एक गलत कदम उनके विश्वास को चूर-चूर कर देगा।"

"मैं समझती हूँ अंकल।"

"तुम्हें पता है,तुम्हारे आसपास सब भले लोग नहीं हैं।बहुत सोच-विचार कर ऐसे लोगों से मिलना-जुलना चाहिए।जिन सुखों का ख्वाब दिखाते हैं,वह बहुत दुर्लभ नहीं है।हर किसी के जीवन में मिलता ही मिलता है।अभी कैरियर बनाने के दिन हैं,वही लक्ष्य होना चाहिए।"

"हाँ,अंकल।"

"कुछ तो हुआ ही है कि तुम सब परेशान हो।खुलेमन से अपनी मां को बता दो।हर लड़की के लिए मां-बाप से बढ़कर कोई हितैषी नहीं होता।विश्वास हो तो मुझे भी बता सकती हो।"

"ऐसी कोई बात नहीं है।मैंने मां को सब बताया है।आपके पड़ोस वाले अंकल को गलतफहमी हो गयी।दूसरी लड़की की घटना को मुझसे जोड़ दिया और बखेड़ा खड़ा हो गया।"थोड़ा रुककर मध्यमा ने कहा,"मेरे साथ एक समस्या है।आपको मेरी आँखें पसन्द हैं।बहुतों को मेरी आँखें पसन्द हैं।इसका क्या करूँ मैं?"

"प्रमोद बाबू हंस पड़े,"सेल्फी भेज दो,देखूँ तो कैसी है खूबसूरत आँखों वाली लड़की।"

उसी मध्यमा ने सालों बाद ह्वाट्सअप किया है।प्रमोद बाबू का तबादला सालों पहले वहाँ से हो गया था।कुछ वर्षों तक फोन पर बातेंं होती रहीं।धीरे-धीरे सारे सम्पर्क खत्म होते गये या कम होते गये।जीवन की भाग-दौड़ और आपाधापी में बहुत से सम्बन्ध धूमिल होते जाते हैं।

आज वह उत्साहित है कि उसके सारे लक्ष्य पूरे हो गये हैं।उसने लिखा है,"मेडिकल की पढ़ायी पूरी करके,आपकी खूबसूरत आँखों वाली लड़की डाक्टर बन गयी है।इन खूबसूरत आँखों में खुशी के आँसू हैं और मेरा हृदय आपके नेक वचनों और सलाहों को याद करके विह्वल हो रहा है।मुझे आपके स्नेह और आशीर्वाद की अभी भी जरुरत है।साथ में भेज रही हूँ,खूबसूरत आँखों वाली मध्यमा की तस्वीरें। 


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