कहना ही काफी नहीं होता
कहना ही काफी नहीं होता
"मम्मा ,मुझे आइसक्रीम खानी है । ",अपनी मम्मी के साथ बाजार आयी 7वर्षीय मौलीने कहा ।
"नहीं बेटा ,हमें देर हो जायेगी।हमें अब घर चलना चाहिए।",मौलीकी मम्मीने कहा ।
"नहीं ,मुझे तो आइसक्रीम अभी खानी है । ",मौली ने इसी के साथ ज़ोर -ज़ोर से रोना शुरू कर दिया । वहाँ घूम रहे लोग मौली और उसकी मम्मी की तरफ देखने लगे । मौली की मम्मी को समझ नहीं आ रहा था कि मौली को कैसे शांत करे । वह बड़ी उहापोह की स्थिति में थी । मौली कुछ भी सुनने और समझने को तैयार नहीं थी ।
मौली अपने मम्मी -पापा की एकलौती बेटी थी । मौली के मम्मी -पापा हमेशा उसे हर बात प्यार से समझाने की कोशिश करते थे ।लेकिन मौली के ज़िद करने की आदत नहीं छुड़ा पा रहे थे ।
मौली की मम्मी ने थक-हार के उसे आइसक्रीम दिलवा दी थी । मौली आइसक्रीम खाकर बहुत खुश थी ।
मौली के पापा एक दिन उसके लिए रिमोट से चलने वाली कार लाये ।
"मुझे कार नहीं हेलीकॉप्टर चाहिए । ",मौली ने कहा ।
"बेटा ,कार कितनी अच्छी है ?हेलीकाप्टर आपके बर्थडे पर लेकर आएंगे । ",पापा ने मौली को गोद में बैठाते हुए कहा ।
"नहीं ,मुझे हेलीकॉप्टर ही चाहिए । ",मौली ऐसा कहकर चली गयी थी । मौली ने उस दिन कुछ भी नहीं खाया । हेलीकॉप्टर के लिए उसने भूख हड़ताल कर दी थी । अगले दिन पापा उसके लिए हेलीकॉप्टर लेकर आ गए ।
कुछ दिनों बाद मौली के स्कूल में चैतन्य ने प्रवेश लिया । मौली और चैतन्य अच्छे दोस्त बन गए । चैतन्य का घर मौली के घर के पास ही था । मौली और चैतन्य स्कूल में साथ -साथ ही बैठते और खेलते । मौली ने एक बात नोटिस की कि चैतन्य कभी भी लंच बॉक्स नहीं लाता था । मौली ने उससे कारण पूछा तो उसने कहा कि ,"उसे भूख नहीं लगती । "अक्सर चैतन्य लंच के समय कक्षा से बाहर चला जाता था ।
एक दिन चैतन्य स्कूल नहीं आया था । मौली ने सोचा कि उसक घर जाकर देखे । उसके घर जाने क बाद मौली को पता चला कि चैतन्य के पास मौली जितने खिलौने भी नहीं हैं । उसके मम्मी -पापा दोनों काम करने जाते हैं ;इसलिए उसके लिए लंच भी नहीं बन पाता । चैतन्य के पास मौली जितनी सुःख -सुविधाएँ नहीं थी । मौली बिना कुछ कहे अपने घर आ गयी ।
"मम्मा ,मेरे फ्रेंड चैतन्य के लिए भी लंच बॉक्स पैक करके दे दिया करो । ",मौली ने अपनी मम्मी को सारी बात बताते हुए कहा ।
"ठीक है ,बेटा । यह तो बहुत अच्छी बात है कि आप अपने फ्रेंड की इतनी मदद कर रहे हो । ",मम्मा ने कहा ।
"मम्मा ,आज से मैं कोई भी ज़िद नहीं करूँगी । ",मौली ने कहा ।
"मेरी प्यारी बेटी । ",जो बात हम कहकर नहीं समझा सके ;वह बात नन्हीं मौली दूसरों की तकलीफ देखकर समझ गयी । मौली की मम्मी ने मन ही मन सोचते हुए कहा ।
