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Shailaja Bhattad

Children Stories

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Shailaja Bhattad

Children Stories

कबूतर

कबूतर

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आज सुबह से ही कुछ अनहोनी होने के संकेत मिल रहे थे। मानो कुछ अप्रिय घटित होने वाला हो। शयनकक्ष में सोनाली सो रही थी । वह एक विद्यालय की छात्रा थी। अचानक लिविंग रूम की खिड़की से एक कबूतर घर में घुस आया । तुरंत ही शयनकक्ष में अपने बाहर का रास्ता ढूंढते हुए सोनाली के बिस्तर पर पहुंच गया । सोनाली हड़बड़ा कर उठी लेकिन परिस्थिति को समझने में उसे जरा भी देर न लगी । उसने तुरंत उठ कर पंखा बंद किया।


उसने खिड़की का पर्दा हटाते हुए एक तरफ से खिड़की खोलकर कमरे के कोने में बैठ गयी ताकि कबूतर भी डर भूल कर अपने बाहर का रास्ता ढूंढ सके। जब कबूतर खिड़की के पास बैठा बाहर जाने के लिए छटपटा रहा था , तो खिड़की के बाहर बैठे उसके साथी उसके बाहर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे ।थोड़ी देर में कबूतर खिड़की से बाहर था। जैसे ही वह बाहर आया एक बार उसने अपनी गर्दन पलटी मानो सोनाली का धन्यवाद कर रहा हो और फिर फुर्र से उड़ गया । आज पहली बार मैंने किसी पक्षी का मुस्कुराहट भरा चेहरा देखा था।


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