काली चुड़ैल का खंडहर
काली चुड़ैल का खंडहर
उस दिन कुछ लड़कों ने जीतू को सुबह के समय काली चुड़ैल के खंडहर के पास से आते देखा था।
काली चुड़ैल के खंडहर का नाम सुनकर गाँव के बच्चे ही नहीं बल्कि बड़े-बुजुर्ग भी भयभीत हो जाया करते थे। लोगों का मानना था कि यह खंडहर आजादी से पहले काली नाम की औरत का निवास स्थान था। काली का पति एक आंदोलन के दौरान अंग्रेज सिपाहियों के डंडों से चोटिल होने के कारण मारा गया, जिस कारण घर पर काली अकेली रहती थी। यही कारण था कि गाँव के जमींदार की उस पर बुरी नियत लगी रहती थी। जमींदार ने उसका शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हर तरह से शोषण किया। आखिरकार तंग आकर उसने एक दिन घर के भीतर ही आत्महत्या कर ली। गाँव वालों का मानना था कि तभी से उसकी आत्मा वहाँ मंडराती रहती है।
लोगों का मानना था कि काली दीखने की काली थी। इसीलिए बच्चे उसे काली दी-काली दी कहकर चिड़ाया करते थे। इसीलिए अब लोग उसके जीर्ण-शीर्ण घर को काली चुड़ैल के खंडहर के नाम से पुकारते हैं। लड़कों की यह बात कि जीतू सुबह-सुबह काली चुड़ैल के खंडहर के पास से गुजरता दीखा, सीधे-सीधे किसी को हजम नहीं हो रही थी, लेकिन सच जीतू के सिवा कोई जानता भी नहीं था। सिर्फ जीतू ही जानता था कि वहाँ कोई चुड़ैल नहीं रहती है।