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Prabodh Govil

Children Stories

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Prabodh Govil

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जंगल चला शहर होने -18

जंगल चला शहर होने -18

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चर्चा जारी थी।

तभी राजा साहब ने कहा - "क्या ये सब समस्याएं इंसानों में नहीं आतीं? वो भी तो अलग अलग रंग, आकार और हैसियत के होते हैं? वो इन समस्याओं का हल कैसे करते हैं। कुछ उनसे पता लगाया जाए।"लोमड़ी ने कहा - "लेकिन इंसानों के पास जाना तो खतरनाक है। वो हमें देखते ही या तो पकड़ कर कैद कर लेते हैं या फिर हमें मार देते हैं।"

तभी मिट्ठू पोपट बोला - "हां, याद आया। हमारा खरगोश तो जादूगर है, ये यहीं बैठे बैठे इंसानों से हमारी बात करा सकता है। उनके पास जाने का जोखिम लेने की क्या जरूरत है! क्यों खरगोश भाई?"

इस पर राजा साहब और रानी साहिबा दोनों चौंक कर बोले - "वाह! ये तो बड़ी अच्छी बात है, हमें तो पता ही नहीं था कि हमारे दरबार में इतने टैलेंटेड लोग भी हैं।"

मिट्ठू पोपट ने बताया कि खरगोश ने एक बार अपने जादू से स्कूल से भागे दो बच्चों से मेरी बात कराई थी। दोनों बहुत ही बुद्धिमान थे। एक लड़का था और एक लड़की।खरगोश अपनी इतनी तारीफ़ सुन कर कुछ शरमा गया। बोला - वो बच्चे तो अपना होमवर्क न करके लाने के कारण टीचर के डर से स्कूल से भाग आए थे। वो जंगल में चले आए थे इसी से मेरी उनसे कुछ दोस्ती हो गई थी।

रानी साहिबा बोलीं - "वाह, ये तो अच्छी बात है। तो तुम उन्हीं बच्चों से पूछो कि हम अपनी समस्या को कैसे हल करें। वो जरूर कुछ बताएंगे। बुद्धिमान भी हैं और इंसान भी। हैं न?"

"जी बिलकुल। मैं अपने जादू टोने से उन्हें यहां बुला लूंगा। उनकी फ़ोटो यहां हमारी दीवार पर दिखाई देगी। पर वो हमें सुन सकेंगे। वो जो कुछ बोलेंगे वो हम सब भी सुन सकेंगे।"

" एक्सीलेंट!" राजा साहब ने कहा।

ये नज़ारा आश्चर्यजनक था। सब रोमांचित थे।


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