जैसे को तैसा
जैसे को तैसा
अपने बेटे को आज फिर एक सुंदर ग्रीटिंग कार्ड बनाते देख सुबोध ने, उसे अपनी गोद मे बैठाकर बड़े दुलार से उससे पूछा "अच्छा बेटा एक बात बताओ पिछले तीन साल से हर साल फादर्स डे पर तुम अपनी मम्मी से पैसे ले बड़े सुंदर सुंदर ग्रीटिंग बनाते हो।पर फिर मेरे ही लिए बनाए ग्रीटिंग कार्ड मुझे देने की बजाए,सेल्फ में यूँ हिफाज़त से क्यो रख देते हो।"
"पापा आप ही तो कहते हैं कि मैं एक दिन आपसे भी बड़ा बिजनेसमैन बनूंगा।तो फिर आप अपनी बिजनेस मीटिंग के चलते साल में एक दिन फादर्स डे पर भी,कई बार दादू से मिलने उनके ओल्ड एज होम नही जा पाते।तब आप ही बताइए मेरे लिए ये कैसे पॉसिबल होगा,बस उन्ही दिनों के लिए ये ग्रीटिंग अभी से तैयार कर रहा हूं।ताकि उस दिन आप से ना मिल पाने पर इन्हें आपको पोस्ट कर सकूं" ,सुबोध की गोद मे बैठा शोभित बड़ी मासूमियत से बोला।
