जान बची तो लाखों पाए !
जान बची तो लाखों पाए !
एक बार की बात है, जंगल का राजा शेर आग बबूला था क्योंकि ,उसके पेट में चूहे कूद रहे थे। तभी, पास के एक गांव में उसे एक आदमी खेती करते हुए दिखा। उसने घी के दीए जलाए जब उसे यह विचार आया कि "क्यों न मैं इस मनुष्य को अपना भोजन बना लूं और अपनी भूख भी मिटा लूं! "
जैसे ही शेर उस आदमी का शिकार करने निकला, वह अचानक से एक भयानक शिकारी के जाल में फँस गया। शेर के छक्के छूट गए जब उस पर यह प्राणघातक हमला हुआ ।वहीं दूसरी तरफ शिकारी के जीवन में प्रसन्नता की लहर दौड़ पड़ी, उसने सोचा "आज तो बहुत लंबा हाथ मारा है, मैंने तो बड़े बड़ों के दांत खट्टे किए हैं, फिर यह शेर किस खेत की मूली है!"
शेर बहुत हताश होकर सोचने लगा, तभी उसके दिमाग में बिजली कौंध गई ! उसने अपने दोस्त चूहे को आवाज़ लगाई और अपना जाल कटवा लिया। यह देख शिकारी की आंखें खुली की खुली रह गई और वह वहां से नौ दो ग्यारह हो गया।
