जादुई घर
जादुई घर
चार दीवारों का तो एक पत्थर का मकान होता है ,मगर जब वह कुशल हाथों में जाता है तो वह कुशल गृहिणी हाथ लगाने से प्यार मोहब्बत से रहने वाला हंसी-खुशी बिखेरते जीवंत जादुई घर में परिवर्तित हो जाता है। क्यों मैं सही कह रही हूं ना। जब विनीता के शादी की बात करने के लिए लड़के वालों की तरफ से बुआ जी आई थी , तो वह बोली मकान बहुत बड़ा है । बहुत पैसे वाले लोग हैं। मगर घर में कोई औरत नहीं है खाली पिता है और दो बेटे हैं। विनीता में मुझे कुछ खासियत दिखती है तो मैं मेरे भतीजे के लिए पसंद करती हूं। अगर आपको यह रिश्ता करना हो तो मेरी बात को मान्य रखिए।
विनीता के मां बाप ने घर देखा बहुत ही बड़ा खूबसूरत साधन संपन्न था। मगर उसमें कोई कुशल हाथ ना लगने से घर-घर लग ही नहीं रहा था। एक मकान रूप लग रहा था । उन्होंने लड़का देखा । पसंद आ गया, मगर मन में एक खटका था कि घर में कोई औरत भी नहीं है तो विनीता वहां कैसे रहेगी।
मगर विनीता को भी लड़का पसंद आ गया था, और बुआ जी ने बोला मुझे इस पर विश्वास है यह इस चारदीवारी के मकान को अपने घर अपने कुशल हाथों से कुशल व्यवहार से एक जादुई घर में परिवर्तित कर देगी। उसने इस रिश्ते के लिए हां कर दी।मां बाप को लड़की का विवाह तो करना था लड़का घर अच्छा था ।देख कर राजी हो गए।
शादी हुई ससुराल में आई पहले दिन ही सब अस्त-व्यस्त देखकर ,उसने पूरे अधिकार भावना से इस मकान को अपने प्यार अपने कुशल हाथों से और व्यवहार से जादू ही घर में परिवर्तित करना चालू कर दिया। अब मकान में में सब कुछ व्यवस्थित था और घर जैसा लग रहा था। हंसी खुशी का वातावरण था । सब बहुत अच्छे से चल रहा था । इसी बीच एक महीना निकल गया। लड़के की बुआ जी को लगा चलो मैं एक बार मिल कर आती हूं भाई के यहां जाकर सब कैसा चल रहा है देखती हूं। उन्होंने कोई समाचार नहीं दिए अपने जाने के। और सर प्राइज देते हुए सुबह-सुबह विनीता के वहां पहुंच गई।
जैसे ही विनीता ने दरवाजा खोला उनको देख करके बहुत खुश हो गई । तो प्यार से अंदर ले गई और उनका स्वागत करने लगी। बुआ जी आई बुआ जी आई करके पूरा सब लोग बाहर आ गए अपने अपने कमरे से और उनको घेरकर बैठ गये। थोड़ी देर में ही बुआ जी पूरे घर का अपने नजरों के मुआयना करती हैं और अपने भाई को बोलती हैं "यह तो जादूई घर बन गया है। तेरा चारदीवारी वाला सुंदर सा मकान अब प्यारी सी परी जैसी बहू आने से उसके कुशल हाथ और कुशल व्यवहार के कारण एक जादुई घर बन गया है। सच है यह कि स्त्री घर को बना भी सकती है और बिगाड़ भी सकती है।"
और सब जने बुआ जी की हां में हां मिलाते हैं। बुआ जी विनीता को अपने पास बुलाती हैं उसको बहुत आशीर्वाद देती है।
और बहुत गिफ्ट देती हैं और कहती हैं "बहू तूने तो अपने जादू से चारदीवारी वाले सुंदर मकान को हंसी खुशी और प्यार के माहौल से जादुई घर बना दिया। हमेशा खुश रहो" और ढेरों आशीर्वाद देती हैं साथ में सब लोग भी उसको बहुत अच्छा अच्छा बोलते हैं। और बहुत आशीर्वाद देते हैं। और छोटा देवर तो गोदकर गोद में छिप जाता है बोलता है "आप तो मेरी भाभी मां हो।मां क्या होती है वह मैं नहीं जानता। मगर आप मेरी भाभी मां हो।" और सब खुश हो जाते हैं । और विनीता के मुख पर भी एक प्यारी सी संतुष्टि की हंसी मुस्कुराहट दौड़ जाती है उसका मन बहुत खुश हो जाता है.