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Arunima Thakur

Others

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Arunima Thakur

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गोद ली हुई बेटी

गोद ली हुई बेटी

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आज सुबह स्कूल पहुँची तो देखा माहौल थोड़ा बोझिल था । 2021 में हम पहली बार मिल रहें थे । हम एक दूसरे को नव वर्ष की शुभकामनाएँ दे रहे थे तो फिर माहौल बोझिल क्यों ? साथी शिक्षिकाँओं से पता किया तो पता चला कि हमारी एक बहुत ही प्यारी सी शिक्षिका स्कूल छोड़कर जाने वाली है । मैं तो नयीं थी पर बाकी सब शिक्षिकाएँ लगभग दस वर्षों से उसके साथ थी। सबकी आँखें नम थी शायद मेरी भी, वैसे तो मैं ज्यादा भावनात्मक नहीं हूँ पर माहौल ही ऐसा था। वैसे तो शिक्षक / शिक्षिकाएँ आते जाते रहते हैं। पर इस साल कोरोना कि वजह से हम पूरे साल एक दूसरे से नहीं मिल पाए थे। तो पूरे साल का खालीपन उसके जाने के खालीपन को और बढ़ा दे रहा था । हम सबके दिमाग में बस एक ही प्रश्न था कि वह नौकरी छोड़ क्यों रही है ? क्या वेतन कम है ? या उसे दूसरी जगह इससे अच्छे विकल्प मिल रहे हैं ? ऐसा कुछ सुनने में आया कि वह उसके पापा के पास रहने जा रही है । अच्छा ! उसके पापा मम्मी तो बड़े शहर में है । हॉं भाई बड़े शहरों में तो स्कूल भी अच्छे हैं और प्रगति के साधन भी । पर फिर साथी शिक्षिकाँओं से पता चला कि वह अपने गृह नगर में बसने का सोच रही है । गृह नगर... ? वह तो बहुत छोटा सा शहर है । वह क्यों अपने बच्चे का स्कूल, पति का बसा बसाया व्यवसाय छोडकर जाना चाहेगी ? यहाँ तो उसका समृद्ध ससुराल गाड़ी बंगला सब है तो फिर नौकरी क्यों छोड़ना ? क्यों. . . ? ऐसे बहुत सारे क्यो के उत्तर सुनने के लिए आखिर मैंने उसको ही पकड़ लिया।  

      प्राथमिक अभिवादन, नव वर्ष की शुभकामनाओं आदि के बाद मैंने पूछा, 'अचानक से ऐसा निर्णय तुमने क्यों ले लिया' ? वह बोली सब आश्चर्यचकित हो गयें ना ! यूँ मेरे अचानक से जाने का सुनकर । वास्तव में क्या है ना कि मेरे पापा के बड़े भाई, मेरे बड़े पापा ने मुझे बचपन में गोद लिया था । वह चाहते तो मेरे भाइयों में से किसी को गोद ले सकते थे पर उन्होंने मुझे चुना । बचपन से लेकर बड़े होने तक मुझे दो पापा मम्मी का प्यार मिला। मेरे पापा मम्मी के साथ साथ मेरी सारी जिम्मेदारी उन्होंने भी उठाई। गोद लेने के बावजूद भी कभी उन्होंने मुझे मेरे मम्मी पापा से अलग नहीं किया। अभी कुछ सालों से भाईयों की शादी, बच्चे और उन की नौकरी बाहर लग जाने के कारण मम्मी पापा अभी उनके साथ रहते हैं । मुझे जब भी मिलने जाना होता तो कभी इस भाई के घर कभी उस भाई के घर । पर बाद में मुझे यह विचार आया कि मेरे मम्मी पापा ने शहर क्या छोड़ा कि मेरा पैतृक घर भी छूट गया और बड़े पापा मम्मी जिन्होंने मुझे गोद लिया था उनसे मिलना जुलना भी I 

      यही सोचकर इस बार होली की छुट्टियों में मैंने वहाँ जाने का प्रोग्राम बनाया पर किसी कारणवश होली में हम नहीं निकल पाए तो होली के बाद वाले शनिवार में गये। मुझे देख कर वह दोनों बहुत खुश हो गए । शायद उन्हें मेरे आने की उम्मीद ना थी । लोग आज अपने कोख़ जाये बच्चों से भी आशा खो चुके हैं मैं तो फिर भी गोद ली हुई थी । पर यह क्या हमारे जाने के दूसरे दिन से लॉकडाउन शुरू हो गया । जहाँ मैं परेशान हो रही थी अब मैं अपने ससुराल वापस कैसे जाऊंगी । वहीं बड़े पापा मम्मी के चेहरे पर एक प्यारी सी संतोष की मुस्कान थी । शायद उनके एकाकीपन का रोग दूर होने की। मेरे बच्चों के साथ समय बिताने की । पूरे लॉकडाउन भर मैं मेरे पति व बच्चे वहीं रहें । शायद हम आने की कोशिश भी करते पर सास ससुर ने भी फोन करके कहा कि जहाँ हो वहीं रहो । हमारे लिए परेशान ना हो रितिका (मेरी ननंद) है हमारे पास हमारी देखभाल के लिए । 

    लॉक डाउन के दो महीनों में मुझे महसूस हुआ कि उनके प्रति भी मेरी जिम्मेदारी है । अनलॉक शुरू हुआ तो हम वापस घर आ गए। एक बेटी ज्यादा दिनों तक अपनी माँ के घर कब रह पाती है ? पर मेरा ध्यान उन पर ही रहता । कुछ महीनों उनके साथ रहकर मैं और मेरे पति उनसे भावनात्मक स्तर पर काफी हद तक जुड़ गए थे । अभी दो महीने पहले मुझे फोन आया कि बड़े पापा बहुत बीमार है। मैं अपने सास ससुर व पति की सहमति से बच्चों को सास के पास घर पर ही छोड़ कर उन्हें संभालने के लिए गई तो पाया कि एक डेढ़ महीने में ही वह इतने बूढ़े हो गए थे। शायद एक बार परिवार का सुख चखने के बाद अकेलापन ज्यादा अखरता है । थोड़े दिन मैं वहाँ रुकी । जब बड़े पापा थोड़ा ठीक हो गए तो मेरे पति मुझे लिवाने आए । उस दिन बड़े पापा ने वकील को बुलाया था विल ( वसीयत ) करने के लिए कि मेरे बाद सब कुछ मेरी गोद ली हुई बेटी जमाई के नाम होगा। तो मैंने साफ शब्दों में कहा तुम्हारी जायदाद तुम्हें जिसको देनी हो दो। भाइयों को दो, ट्रस्ट बनाकर किसी धार्मिक काम में लगा दो, जो मन चाहे करो, पर हमें नहीं चाहिए। हमें बस तुम्हारा आशीर्वाद चाहिए । उसके बाद हम वापस घर लौट आए। पर मेरा मन नहीं लग रहा था बड़े पापा ने दवाई ली होगी या नहीं । मम्मी ने खाना कैसे बनाया होगा ? उनके घुटनों पर तेल किसने लगाया होगा ? यह सारी बातें जो मैंने अपने तीस साल की उम्र में कभी नहीं सोंची । पर अब मुझे रह रह कर उनके प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराती । मुझे अनमना देखकर मेरे ससुर जी ने मुझे और मेरे पति को बुलाया और बोले देखो मुझे मालूम है तुम किसी को अपनी परेशानी नहीं बताओगी और मन ही मन में घुटती रहोगी पर हम समझते हैं । तुम कभी हम लोगों को छोड़कर जाना नहीं चाहती यह भी हम जानते हैं I पर अभी तुम्हारे बड़े पापा को तुम्हारी जरूरत है । तुम दोनों वहाँ जाकर बस जाओ । अगर तुम्हें स्कूल की कोई दिक्कत लग रही हो तो तुम चाहो तो बच्चों को यहाँ पर छोड़ सकती हो हमारे पास, बाकी चिराग (मेरे पति) तो रोज वहाँ से यहाँ आवागमन (डेली अप डाउन) भी कर सकता हैं । हम दोनों भी (मेरे सास ससुर) अभी इतने सक्षम हैं कि अपनी देखभाल कर सकें। वैसे भी यहां देखभाल करने के लिए दूसरे लोग भी हैं। अभी तुम्हारे बड़े पापा मम्मी को तुम्हारी जरूरत है । तुम उनके साथ ही रहो । मेरे हृदय में मेरे ससुर का सम्मान अब और भी बढ़ गया ।

    वह मेरा हाथ पकड़ कर लगभग रोते हुए बोली मैंने इतने सालों तक कभी महसूस ही नहीं किया कि मेरे बड़े पापा मम्मी के प्रति भी मेरी जिम्मेदारी है । पर अब मैं उन्हें कभी कोई कमी महसूस होने नहीं दूंगी । मैं उनका इतना ध्यान रखना चाहती हूँ कि मेरे बड़े पापा को कभी ये एहसास भी नहीं होना चाहिए कि उन्होंने एक बेटी गोद लेकर कोई गलती की है। 



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