घाव
घाव
रोहित, कविता और रवि हर रोज की तरह सैर पर जा रहे थे कि अचानक से कविता का पांव किसी रस्सी में उलझ गया और वह अचानक से गिर पड़ी। मगर थोड़ा पीछे होने की वजह से उस पर किसी का ध्यान नहीं गया।
पीछे मुड़कर रवि ने अचानक से देखा कि कविता सड़क पर गिरी हुई थी उसने दौड़ कर उसे उठाया और उसके कपड़े साफ किए और एक जगह पर बैठाया।
यह सब रोहित भी देख रहा था मगर उसने नजरंदाज करते हुए कहा कि कोई बात नहीं सब ठीक है।
कविता ने अपने आप को संभालते हुए कहा कि हां सब ठीक है।
वह वापस घर की तरफ चल दी। घर आकर उसने देखा कि घुटने से बहुत खून बह रहा था। उसने साफ करके थोड़ा दवाई लगाई और अपने काम पर लग गई।
रवि ने घर आकर सब को बताया कि कविता की चोट लग गई है मगर किसी ने परवाह नहीं की।
अब इस चोट ने कविता के दिल पर गहरा घाव बना दिया था। क्योंकि वह जिस घर में थी। वह सभी का ख्याल रखती थी मगर किसी के मुंह से उसके लिए प्यार के दो बोल भी नहीं निकले।
मन ही मन सोच रही थी कि क्या होता यदि कोई उसका हालचाल पूछता और उससे प्यार के दो मीठे बोल बोलता तो यह चोट घाव नहीं बनती।
अब उस चोट ने कविता के पांव में हमेशा के लिए घाव बना दिया था जो शायद ही कभी ठीक होता।