दयालु निष्काम राजकुमार
दयालु निष्काम राजकुमार
एक कहानी सुनी थी कभी किसी कथा या प्रवचन में, वह जैसी कुछ याद रही अपने शब्दों में लिख रही हूँ, इसमें बच्चों के लिए ग्रहण करने योग्य सुंदर बातें हैं।या कहो कि सभी के ग्रहण करने योग्य सुंदर ज्ञान है।
एक राजा था। युद्ध में हार गया। उसका एक लड़का था। किसी तरह बच गया। उसे विश्वस्त सेवकों ने पाला पोसा। जब कुछ बड़ा हुआ तो उसे सब बातें पता चलीं कि कैसे उसका सब राज्य नष्ट हो गया। उसने सुना था कि कोई महात्मा हैं, वहाँ जाएगा तो कुछ उपाय पता चलेगा। काफ़ी लंबी थकान भरी यात्रा थी, पर नन्हा राजकुमार वहाँ जाने को चल पड़ा।
जब वह जा रहा था, रास्ते में एक बुढ़िया मिली। उसे पता चला कि वह महात्मा जी से मिलने जा रहा है तो बोली,” बेटा मेरा भी एक काम कर दो। महात्माजी से पूछना कि मेरी गूँगी बेटी कब बोलेगी, यह बोलती नहीं है। “
नन्हा राजकुमार और आगे चला तो उसने एक पेड़ मिला। वह सूखा हुआ था। उस पेड़ ने कहा,” मैं क्यों सूख रहा हूँ, मेरे में फूल व फल क्यों नहीं लगते। डालिया हरी भरी क्यों नहीं हैं। “ उसने राजकुमार से प्रार्थना करी कि इसका कारण भी महात्माजी से पूछना।
राजकुमार और आगे बढ़ा तो एक साधक बैठा था। उसने भी राजकुमार से अनुनयपूर्वक कहा,” मेरे बारे में भी महात्माजी से पूछना कि मेरी साधना सफल क्यों नहीं होती, वर्षों से तप कर रहा हूँ”।
राजकुमार ने कहा कि “अच्छा पूछकर बताऊँगा”।
जब राजकुमार महात्माजी के पास पहुँचा तो उसे पता चला कि वे केवल तीन प्रश्नों का उत्तर देंगे। राजकुमार उदार सरल एवं निष्काम था। करुणा से भरा था। दूसरों का दुख देख नहीं सकता था। उसने उन तीनों की बातें पूछी, अपने बारे में कुछ नहीं कहा।
साधक के बारे में महात्मा जी ने कहा है कि जहाँ वह बैठा है, वहाँ चाँदी के सिक्के हैं। उसे हटा दें तो साधना सफल होगी। पेड़ के बारे में बताया कि पेड़ के नीचे घड़े में अशर्फ़ियाँ भरी पड़ी हैं, उन्हें हटा दो तो पेड़ फल देगा। बुढ़िया के सवाल के जवाब में बताया कि गूंगी लड़की जब किसी दयालु निष्काम व्यक्ति को देखेगी तो वह बोलने लगेगी।
उस राजकुमार ने महात्मा जी के पास से लौटकर उन तीनों के प्रश्नों के उत्तर दे दिए। साधक ने चाँदी के सिक्के हटा दिए और राजकुमार को दे दिए। पेड़ के नीचे से अशर्फी भरा घड़ा हटा दिया गया, जो पेड़ ने राजकुमार को दे दिया। साधक का तप सफल हो गया। पेड़ में फल फूल लग गए। गूंगी लड़की ने दयालु निष्काम राजकुमार को देखा तो वह बोलने लगी। बुढ़िया ने अपनी बेटी की शादी राजकुमार से कर दी।
इस तरह राजकुमार को बिना माँगे ही धन मिल गया सुंदर सुशील पत्नी मिल गई। इस धन की सहायता से वह सेना सुगठित कर अपना राज्य वापिस ले सकता था।
अपनी सामर्थ्य का उपयोग करते हुए यदि समाज का कल्याण करते हो, दूसरों की सहायता करते हो तो आपको भी वरदान के रूप में कहीं से भी सहायता मिल जाती है। बुद्धि से वह रास्ता खोजें जिससे आपके पीछे आने वालों को आराम मिले। यदि आप अपनी सामर्थ्य एवं बुद्धि का उपयोग नहीं करते हैं भगवान आपको दी हुई उस विशेष सामर्थ्य एवं बुद्धि को वापिस ले लेते हैं। इसलिये उदार होकर असहायों की मदद करनी चाहिए, बुद्धि एवं धन को कल्याण के कार्यों में लगाना चाहिए।बड़ा होना चाहते हो तो दूसरों को मान दो।
