STORYMIRROR

Sri Sri Mishra

Children Stories Inspirational

4  

Sri Sri Mishra

Children Stories Inspirational

दोस्ती की मिसाल

दोस्ती की मिसाल

3 mins
248

मगरमच्छ कभी पानी के अंदर घंटों डूबा रहता...। अपनी मस्ती में ही खोया रहता..। कभी बाहर निकल कर रेत पर घंटों आराम करता और सभी पशु पक्षियों जानवरों की हरकतों को देखकर दंग रहता....कभी बहुत खुश हो जाता....।

कभी मोर के नाच को देखकर वह आंखों से खुशी का इजहार कर देता..। बंदर उसके नाच को देखकर ताली बजाते और बहुत खुश हो जाते..। बदले में गुलाटी मार कर उसका अभिवादन करते....।

लेकिन कभी-कभी यही बंदर मोर उस मगरमच्छ को उलाहना दे देते .. यह कह कर कि.. तू मेरी तरह नाच सकता है क्या ..!! मोर की यह बात सुनकर मगरमच्छ निराश हो जाता .... बंँदर बंँदरिया यह कहकर मुंँह चिढ़ा देते.. कि तू ताली बजा सकता है मेरी तरह!! मेरी तरह डाली पर चढ़ सकता है...!!! मेरी तरह उछल कूद कर सकता है...!! केवल लेटा रहता है तू बस... इस पर मगरमच्छ उदास होकर वापस पानी में लौट जाता.. वह अपने मनोभावों को व्यक्त नहीं कर पाता था....।

और सभी जानवर पशु पक्षी उसे ताना देकर आपस में बहुत खुश हो जाते थे..। वह आपस में ही घंँटों खेला करते,,, मस्ती करते रहते,,... लेकिन मगरमच्छ से कोई भी दोस्ती का हाथ नहीं बढ़ाता था...। खेलते खेलते कभी वह सब एक तट से दूसरे तट की ओर निकल जाते थे और फिर शाम होते ही वापस अपने ठिकानों बसेरों पर आ जाते थे..।

मगरमच्छ यह सब केवल चुपचाप देखता रहता ...।

एक बार ऐसे ही खेलते खेलते यह सब जानवर काफी दूर निकल गए अचानक बारिश बड़ी तेज की आंधी तूफान के साथ होने लगी जिस रास्ते से वह सब आए थे पूरा मार्ग ही जलमग्न हो गया सुबह से शाम हो गई अब यह सब बहुत परेशान होने लगे...।

.. इतने में मगरमच्छ उधर से पानी में तैरते हुए इन लोगों की तरफ आया और बोला तुम लोग बारी-बारी से मेरे पीठ पर बैठ जाओ..। मैं तुम सबको रास्ता पार करा दूंँगा और तुम लोग अपने अपने ठिकानों पर सुरक्षित पहुंँच जाओगे..।

इस पर सब लोग बहुत खुश हो गए और वह बारी-बारी से उसकी पीठ पर बैठकर इस तट से उस तट तक सुरक्षित पहुंँच गए ..।आज सभी जानवरों और पशु पक्षियों को अपने ऊपर आत्मग्लानि हो रही थी ..। जिससे वह कभी दोस्ती नहीं करना चाहते थे..। बात बात पर उसको उलहाने से ताने देते थे..। आज वही उनके लिए मुश्किल में ईश्वर समान था..। उन्होंने अपनी गलती का एहसास किया और उस मगरमच्छ से बड़े प्यार से दोस्ती का हाथ बढ़ाया और अब सब लोग उसके बहुत अच्छे दोस्त बन गए और अपने खेल आनंद में उसे भी हिस्सा बनाने लगे अब वह घंँटों पानी से निकलकर इन लोगों के साथ खूब मस्ती करता और उनके तरह-तरह के करतब नाच को देखकर खूब खुश होता.....।

निष्कर्ष:

             इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है। दोस्त कैसा भी हो ..उसके हाव-भाव को नकारना नहीं चाहिए..। समय की चाल का किसी को भी नहीं पता होता..। क्या पता ...!! कल वही आपके उन मुश्किल समय में सबसे सच्चा मित्र साबित हो जाए.. और आपको उन मुश्किल से मुश्किल के पलों से बाहर निकाल दे..। जैसा कि मगरमच्छ ने उन सब के साथ किया..। उसने यह नहीं सोचा कि इन लोगों ने मेरे साथ कैसा बर्ताव किया । उसने अपनी अच्छाई के साथ उन सबको मुश्किल से बाहर निकाल कर अच्छी दोस्ती की मिसाल दी..।



Rate this content
Log in