दिल के अरमां
दिल के अरमां
सीमा आज बड़ी खुश हो कर " आज मौसम बड़ा बेइमान है बड़ा बेइमान है.... गाना गाते हुऐ झूम रही थी, आज वो शादी के बाद पहली बार घर में अकेली थी।यूं तो वो अपने पति के साथ बाहर घूम कर भी आई थी।
पर घर पर सासो मां,ससुर जी,दो ननद और देवर के रहते बो वो पल मिस करती जो अक्सर नये पति पत्नी कभी खाना बनाते,कभी यूं ही कहीं भी गले लगाकर रोमांस करते में महसूस करते हैं।
येसा नहीं हैं कि सीमा को परिवार पसंद नहीं वो तो अपने ससुराल में पूरे परिवार के साथ बहुत खुश है।पर परिवार के साथ रहते अकेले रहने का मौका कम ही मिलता है।क्योंकि जब भी कोई कहीं जाता है तो एक न एक सदस्य घर पर रुक ही जाता।
पर आज तो सभी लोग एक साथ बाहर चले गए ।सीमा के सास,ससुर एक दूर के रिश्तेदार के यहां शादी में गये हैं ।दोनों ननद अपनी फ्रेंड की शादी में गई हैं ।और देवर जी के कॉलेज में आज वार्षिक उत्सव है तो वो वहां बिजी हैं। इसिलिये सीमा ने आज अपने पति राजीव से बोल उन्हे ऑफिस से छुट्टी लेने को बोला तो वो मान भी गये ।
आखिर खाली घर में पत्नी संग वो भी तो रहना चाहता था। राजीव ने प्लान बनाया कि आज वो पूरा दिन एक दूसरे के साथ बितायेंगें और खाना भी वो बाहर से ले आएगा ताकि दोनों बिल्कुल स्पेशल फील करें ।पर राजीव को कोई जरूरी काम था वो बस वही निपटाने गया था कि दरवाजे की घंटी बजी सीमा खुशी- खुशी ये सोच दरवाजा खोलने दौड़ी कि राजीव होगा । पर हाय राम ये तो कोई और था...
जो दरवाजा खुलते ही बोले...."तुम्हारे पापा है? उन्हे बुलाओ हम उनसे मिलने आये हैं"!
सीमा सोची शायद पापा जी के दोस्त होंगे तो वो बोली..." पापा जी घर पर नहीं है अंकल"
"तो क्या उसने तुम्हे ये भी नहीं सिखाया कि घर पर कोई आऐ तो उसे आदर सहित अंदर बिठाना चाहिये।तुम तो मुझे बाहर से ही टरकाने की सोच रही हो तभी दरवाजा भी नहीं खोला।"
बाहर खड़े अंकल ने डांटा तो सीमा ने झट से गेट खोल दिया ।पर अकेली घर में होने की वजह से डर के मारे उसने फोन करके पड़ोस में रहने वाली एक लड़की को बुला लिया।अब सीमा बड़ी ही धर्म संकट में थी कि कैसे पूछूं की ये अंकल कौन है? सीधे से जाकर पूछेगी तो अंकल फिर से गुस्सा हो जायेंगें।
कहां तो वो अपने पति संग क्वाल्टी टाइम बिताने का सोच रही थी और कहां अब एक ऐसे मेहमान का स्वागत कर रही थी जिन्हें वो जानती भी नहीं।
अब तो राजीव के आने तक उसके पास एक ही रास्ता था अनचाहे अजनबी मेहमान की खातिर दारी करना। सो वो रसोई में जाकर शुरू हो गई चाय नास्ता बनाने में।खिला-पिला कर वो हटी ही थी की राजीव आ गया सीमा को लगा अब वो उससे मिलकर चले जायेंगे।
पर इस मेहमान को तो राजीव भी नहीं जानते थे। उन अंकल ने राजीव को सिर्फ इतना बोला कि ....
."वो उसके पापा के बचपन के दोस्त हैं।बहुत सालों से नहीं मिले इसलिये मिलने चले आए। "
फिर थोड़ा गुस्सा होते हुऐ बोले.....
"तुम्हारे पापा को पता था कि मै आ रहा हूं फिर भी चला गया।बचपन की आदत है दूसरो को परेशान करने की नालायक अभी तक नहीं बदला।"
उनकी ये बात सुनकर राजीव को हंसी आ गई उसने पापा को फोनकर उनकी पापा से बात करवाने की कोशिश की पर उनका फोन भी नहीं लग रहा था।उसपर वो अंकल राजीव से गुस्से में बोले....
" क्या सिर्फ ये चाय और थोड़ा सा नास्ता करा कर ही जय हरि की कर लेगा।जब तक वो निक्कम्मा नहीं आ जाता कुछ खाने को मिलेगा की नहीं मिलेगा।और हां मैने सुना है तुम शहरी घर पर खाना बनाने में विश्वास नहीं करते तो मैं बता दूं मुझसे बाहर का खाना नहीं खाया जाता। इसलिये घर का खाना ही बनवाना मेरे लिऐ।
अब सीमा मरती क्या न करती " हाय हाय ये मजबूरी ये..." गाते गाते खाना बनाया और खिलाया।इस बीच राजीव ने कई बार अपने मम्मी पापा को फोन लगाया पर फोन था कि लग ही नहीं रहा था।तब तक वो अंकल खा पीकर तृप्त हो आराम से सो गये थे।
और उधर जो सीमा और राजीव खाली घर में लैला मजनूं बनना चाहते थे वो बिचारे यजमान बन मेहमान की हर इक्षा पूरी करने में लगे थे। कि तभी उन अंकल का फोन बजा और उन्होंने राजीव को बुलाकर कुछ कहा और चले गये।
राजीव मुस्कुराता हुआ अंदर आया और बोला वो "हमारे मेहमान तो थे ही नहीं वो तो गलती से आ गये थे।"
पर अब उनके जाने का क्या फायदा शाम हो चुकी थी और घर के सदस्य वापिस आ गये थे और उन दोनों का खाली घर में समय बिताने का सपना - सपना ही रह गया।और वापिस उनका रोमांस बस अपने कमरे तक ही सीमित रह गया।
उधर जब सभी ने उसकी बातें सुनी तो सब उसे " दिल के अरमां आसुओं में बह गये गा - गा कर चिढ़ा रहे थे।
तो क्या आप दो चार हुऐ हो ऐसे अनचाहे मेहमान से कमेंट करके जरूर बताइएगा।