दीपावली : शशिबिन्दुनारायण मिश्र
दीपावली : शशिबिन्दुनारायण मिश्र


या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै-नमस्तस्यै-नमस्तस्यै नमो नम:।। 🙏
प्रकाशोत्सव दीपावली की आप सभी को शुभकामना।
राम द्वारा आसुरी- शक्तियों पर विजय के पश्चात् प्रसन्नता में हम सब अनादि काल से दीप-प्रज्ज्वलन प्रतिवर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष के अन्तिम दिवस को करते हैं , यह धन-ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी को नीतिपूर्वक पाने का पर्व है।अभिप्राय,आसुरी शक्तियों के दलन के बाद ही सात्त्विक भाव से लक्ष्मी का आगमन होता है। धन की देवी लक्ष्मी की उपासना,सद्बुद्धि के देवता गणेश जी के साथ ही करना श्रेयस्कर इसलिए होता है क्योंकि बिना सद्बुद्धि के धन व्यक्ति को उल्लू बना देता है।
अर्थोपार्जन/लाभार्जन ज्ञानमय प्रकाश से प्रेरित हो। दीपमालिका पर्व का हमारे लिए संदेश यही है कि धन कमाने के चक्कर में धनपशु कदापि न बनें। देखा जा सकता है कि वैज्ञानिक उन्नति के साथ-साथ समाज के हर क्षेत्र में किस तरह से धनपशुओं की बाढ़ आ गयी है। लक्ष्मी सात्त्विक रूप से विकास का सहारा बनती हैं। कहा गया है---- "अन्यायोपार्जितंवित्तंदशवर्षाणितिष्ठति।
प्राप्तेचैकादशेवर्षेसमूलंतद्विनश्यति।।" जहाँ पर सात्त्विकता का आदर होता है,मूर्ख नहीं पूजे जाते हैं,सुमति रहती है,वहाँ लक्ष्मी स्वयं चलकर जाती हैं। इस अवसर पर हम सभी जीवन में ईमानदारी से धनोपार्जन करने व आर्थिक रूप से सन्तुलन बनाये रख सकते हैं और आत्मा के विकास के साथ मानवता का विकास कर सकते हैं। पुनश्च, दीपावली की आप सभी को मंगलकामना ।